इतना विरोध क्यों?

क्या उन्होंने कभी बांग्लादेश और म्यांमार से आए घुसपैठियों के प्रति यह रवैया अपनाया?

इतना विरोध क्यों?

पीड़ितों व प्रताड़ितों को राहत देने की बात आए तो सभी दलों को एकजुटता दिखानी चाहिए

इन दिनों धड़ाधड़ जारी हो रहे राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्रों में और कुछ मिले या न मिले, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का जिक्र खूब मिल रहा है। नेतागण अपनी जनसभाओं में भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। हालांकि सीएए एक ऐसा विषय होना चाहिए था, जिसके संबंध में राष्ट्रीय व क्षेत्रीय, सभी दलों के बीच सहमति हो। यह कानून किसी को विशेषाधिकार नहीं देता, बस अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए उन अल्पसंख्यकों को थोड़ी-सी राहत देता है, जिन्होंने 'अपने देशों' में धार्मिक पहचान के कारण उत्पीड़न झेला है। क्या ही अच्छा होता, अगर सभी राजनीतिक दल इन लोगों के मामले में संवेदनशीलता दिखाते और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इनके साथ मजबूती से खड़े होते! दुर्भाग्य की बात है कि आज जब सीएए के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक हो चुकी है, किसी तरह की कोई अस्पष्टता बाकी नहीं रही, तब भी कुछ राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा-पत्रों में यह वादा कर रहे हैं कि हम सत्ता में आए तो इसे रद्द कर देंगे। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए उन पीड़ित व प्रताड़ित 'अल्पसंख्यकों' से इतनी चिढ़ क्यों है? जो दल इतनी दृढ़ता और ऊर्जा से इन लोगों के आने का इतना विरोध कर रहे हैं, क्या उन्होंने कभी बांग्लादेश और म्यांमार से आए घुसपैठियों के प्रति यह रवैया अपनाया? सीएए का महत्त्व पूरी तरह वही समझ सकता है, जिसने अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश में रहकर भेदभाव झेला हो। इन देशों में अल्पसंख्यकों के साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया जाता है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। निस्संदेह भारत के राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता भलीभांति जानते हैं कि उक्त तीनों देशों से कोई अल्पसंख्यक अपना सबकुछ वहां छोड़कर भारत आता है और यहां किसी झुग्गी या तिरपाल के नीचे ज़िंदगी बिताता है तो इसके पीछे जरूर कोई बड़ी वजह होगी। आखिर, कोई व्यक्ति अपना घर-द्वार छोड़कर यहां क्यों आना चाहेगा, जबकि न तो कोई पुख्ता ठौर-ठिकाना हो, न रोजगार सुनिश्चित हो और वर्षों तक नागरिकता भी न मिले?

प्राय: यह 'तर्क' भी दिया जाता है कि उक्त तीनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं खस्ताहाल हैं, इसलिए उनके अल्पसंख्यक बेहतर भविष्य की तलाश में भारत आना चाहते हैं। अगर सच में ऐसा है तो इन देशों से वे लोग भी भारत क्यों आ रहे हैं, जो वहां काफी समृद्ध थे? खासकर पाकिस्तान से आए डॉक्टर, चिकित्साकर्मी, शिक्षक, व्यापारी समेत ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें वहां कोई आर्थिक अभाव नहीं था। वे मकान-दुकान-जायदाद के मालिक थे, लेकिन सबकुछ वहीं छोड़कर आज भारत में नागरिकता मांग रहे हैं। उन्हें क्यों इसकी जरूरत पड़ी? निश्चित रूप से वे पर्यटन के इरादे से भारत नहीं आए हैं। कोई तो बड़ी वजह होगी! वह वजह है- अपनी और अपनों की जान की सलामती, भेदभाव से मुक्ति पाने की चाहत, बहन-बेटियों की सुरक्षा, अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता। सीएए इन लोगों को नागरिकता देकर उस तकलीफ को थोड़ा कम कर देता है, जो पिछली व्यवस्था में उठानी पड़ती थी। हालांकि नागरिकता मिलने के बाद भी इनका संघर्ष कम नहीं होगा, क्योंकि रोजी-रोटी और ज़िंदगी के कई मसले अपनी जगह मौजूद रहेंगे। नेतागण चाहते तो इस बात को बहुत आसानी से समझा सकते थे, लेकिन वोटबैंक की राजनीति ऐसा करने में अवरोध पैदा करती है। एक वरिष्ठ नेत्री अपनी रैलियों में वादा करती हैं कि हम सभी 'भेदभावपूर्ण' कानूनों को रद्द कर देंगे। बेहतर होता, अगर वे यह भी कहतीं कि हम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों के लिए भी आवाज उठाएंगे, जिनके साथ उनकी धार्मिक पहचान के कारण भेदभाव किया गया। इससे उनका सियासी कद और बढ़ जाता। पीड़ितों व प्रताड़ितों को राहत देने की बात आए तो सभी दलों को एकजुटता दिखानी चाहिए। बेशक इससे उन लोगों की तकलीफें कम तो नहीं होतीं, लेकिन उन्हें अपने हिस्से के संघर्ष के लिए ताकत जरूर मिलती है।

Google News

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

सपा-कांग्रेस वाले सरकार में आ गए तो रामलला को फिर से टेंट में भेजकर मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे: मोदी सपा-कांग्रेस वाले सरकार में आ गए तो रामलला को फिर से टेंट में भेजकर मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे: मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि समाजवादी शहजादे ने एक 'नई बुआ' की शरण ली है
निप्पॉन पेंट ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु स्टार्स के साथ वेदरबॉन्ड 8 को लॉन्च किया
1.08 करोड़ रु. नकद, लाखों के आभूषण ... भ्रष्टाचार मामले में फरार पुलिसकर्मी के घर मिला इतना सामान!
वैभव लौटाएं
आईटीआई लि. को बिहार में सोलर स्ट्रीट लाइट सिस्टम के लिए 37.5 करोड़ रु. के एलओआई मिले
165वीं एसएलबीसी बैठक: पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत आबादी को कवर करने की सलाह दी
सोनाक्षी बोलीं- अगर आप मुझे सही रोल और सही निर्देशक दें तो मैं ...