एच विश्वनाथ को 15 करोड़ रु.: आप ने चुनाव आयोग से की शिकायत, ईडी से की जांच की मांग
'आप' के प्रदेश मीडिया संयोजक जगदीश वी सदम ने मीडिया को संबोधित किया
आप-भाजपा में जंग
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव आयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से शिकायत की है कि भाजपा सांसद वी श्रीनिवास प्रसाद द्वारा हुनसूर सीट के उपचुनाव में एच विश्वनाथ को 15 करोड़ रुपए देने की 'स्वीकारोक्ति' की गहन जांच होनी चाहिए।
मीडिया से बात करते हुए 'आप' के प्रदेश मीडिया संयोजक जगदीश वी सदम ने कहा, भाजपा सांसद वी श्रीनिवास प्रसाद ने हुनसूर उपचुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी एच विश्वनाथ को 15 करोड़ रुपए देने और विश्वनाथ द्वारा 4 से 5 करोड़ खर्च करने के गंभीर मामले का खुलासा किया है।एच विश्वनाथ ने कहा कि वी श्रीनिवास प्रसाद को भी चुनाव के लिए पैसे मिले। भाजपा ने कैसे ये 15 करोड़ रुपए कमाए? इसे उम्मीदवार एच विश्वनाथ को क्यों स्थानांतरित किया गया? विश्वनाथ ने 4 या 5 करोड़ रुपए कैसे खर्च किए? बाकी के 10 करोड़ रुपए अब कहां हैं? चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन सवालों के स्पष्ट जवाबों की जरूरत है। उन्होंने मांग की, इसलिए चुनाव आयोग और प्रवर्तन निदेशालय को उचित जांच करनी चाहिए।
जगदीश वी सदाम ने कहा, 'यह एक बहुत बड़ा चुनावी धोखा है। चुनाव आयोग की आचार संहिता 2019 के मुताबिक एक उम्मीदवार को सिर्फ 28 लाख रुपए खर्च करने की इजाजत है। भाजपा सांसद ने माना है कि भाजपा उम्मीदवार एच विश्वनाथ ने 4 से 5 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो कि तय अधिकतम सीमा से 15 गुना ज्यादा है। चुनाव आयोग को इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है।'
आप की राजनीतिक गतिविधि शाखा के अध्यक्ष चन्नप्पा गौड़ा नेल्लोर ने कहा, 'यह जानकर दुख होता है कि राजनीतिक व्यवस्था उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां न केवल करोड़ों रुपए खर्च कर चुनाव लड़ा जाता है, बल्कि बिना किसी शर्म के दावा भी किया जा रहा है। एच विश्वनाथ और वी श्रीनिवास प्रसाद को गिरफ्तार कर जल्द पूछताछ की जानी चाहिए। भले ही गैर-भाजपा नेताओं पर बेबुनियाद आरोप लगे हों, प्रवर्तन निदेशालय जल्द से जल्द उन पर छापेमारी करता है। उन नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर पूछताछ की जाती है। लेकिन भाजपा सांसद के इस खुलासे के चार दिन बाद भी कि भाजपा प्रत्याशी को 15 करोड़ रुपए दिए गए, कोई कार्रवाई न करने या छापेमारी न करने का क्या कारण है?'