शिक्षा के साथ अच्छे संस्कारों से ही जीवन का संपूर्ण विकास संभव हैः आचार्य महाश्रमण
अणुव्रत गीत महासंगान का आयोजन हुआ
आचार्यश्री के आह्वान पर विद्यार्थियों ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संकल्प लिया
मुंबई/दक्षिण भारत। अणुव्रत विश्व भारती सोसाइटी के तत्वावधान में गुरुवार को अणुव्रत गीत महासंगान का आयोजन आचार्य महाश्रमणजी के सान्निध्य में ठाणे के रेमंड मैदान में हुआ। मंगल महामंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। लगभग 6,000 बच्चों व लोगों की मौजूदगी में मुंबई के 17 स्कूल व कॉलेजों के विद्यार्थियों ने अणुव्रत गीत का महासंगान किया।
इसके बाद आचार्यश्री के आह्वान पर विद्यार्थियों ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्प लेकर जीवन को उन्नत बनाने का वचन दिया।आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में ज्ञान का अत्यंत महत्त्व है। ज्ञान जीवन को प्रकाशित करने वाला है। शिक्षा का पहला कार्य लर्निंग और फिर अर्निंग हो, लेकिन इसके साथ अच्छे संस्कार भी जीवन में आएं तो संपूर्ण विकास हो सकता है।
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने स्वागत किया। इसके बाद डॉक्यूमेंट्री की प्रस्तुति दी। मुख्य मुनि महावीरकुमारजी, साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी, अणुव्रत आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मननकुमार जी, साध्वीवर्या सम्बुयशाजी का मंगल उद्बोधन हुआ।
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर, संयोजक महेंद्र वागरेचा, अजय आसर, मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा, जस्टिस केके तातेड़, उपाध्यक्ष पवन ओस्तवाल ने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में मनोज सिंघवी, अणुव्रत समिति मुंबई अध्यक्ष रोशन मेहता, मंत्री राजेश चौधरी, रतन कच्छारा, ममता श्रीश्रीमाल, विमला हिरण आदि ने सहयोग किया।
इस अवसर पर निरंजन डावखरे, प्रताप सरनाइक, संजय केलकर, विनोद कोठारी, रमेश सोनी, नरेश सोनी, नरेश बाफना आदि मौजूद थे। आभार ज्ञापन अणुविभा के महामंत्री भीखम सुराणा ने किया।