'सूर्योदय तो रोज़ होता है, अब व्रतोदय का सूर्य उदय करना है'
बारहव्रत दीक्षा स्वीकार करने का आह्वान किया
जिन्होंने भी बारहव्रत स्वीकार किया, उन सबका साध्वीश्री के सान्निध्य में सम्मान किया गया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। आचार्य श्रीमहाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्रीउदितयशाजी आदि ठाणा 4 शनिवार को राजाजीनगर पधारे। सभा उपाध्यक्ष मदनलालजी बोराणा ने साध्वीश्री के लिए कृतज्ञता ज्ञापित कर समस्त श्रावक-श्राविका समाज का स्वागत किया। उन्होंने साध्वीश्री के तीन दिवसीय प्रवास के दौरान सेवा-दर्शन का लाभ लेने का निवेदन किया। मंच संचालन सभा मंत्री चंद्रेश मांडोत ने किया।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित एवं तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित 'सम्मान व्रत चेतना का' एवं बारहव्रत दीक्षा कार्यशाला का आगाज साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने आचार्य तुलसी द्वारा लिखित 'श्रावक व्रत धारो' गीतिका की प्रस्तुति से हुआ।साध्वी उदितयशाजी ने कहा कि श्रावक के जीवन में सूर्योदय तो रोज़ होता है, लेकिन अब हमको व्रतोदय का सूर्य उदय करना है। व्रत धारण करना अपनी आत्मा की सुरक्षा का आवरण बनाना होता है। श्रावक व्रत की आराधना करने से हम अपना स्थान वैमानिक देव लोक में जमा सकते हैं।
तेयुप अध्यक्ष कमलेश चौरड़िया ने सभी का स्वागत करते हुए बारहव्रत दीक्षा स्वीकार करने का आह्वान किया एवं अभातेयुप द्वारा निर्देशित 'सम्मान व्रत चेतना का' यानी अब तक जिन्होंने भी बारहव्रत स्वीकार किया, उन सबका साध्वीश्री के सान्निध्य में जैन पट एवं सम्मान पत्र से सम्मान किया गया। राजाजीनगर क्षेत्र में 21 बारहव्रती श्रावक-श्राविकों का सम्मान किया गया। मंच संचालन तेयुप मंत्री जयंतीलाल गांधी ने किया।