आईटीआई लि. को उत्तराखंड में एमडीटीएसएस के लिए 95 करोड़ रु. का अनुबंध मिला

देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में 40 चेक गेटों पर सिस्टम लगाए जाएंगे

आईटीआई लि. को उत्तराखंड में एमडीटीएसएस के लिए 95 करोड़ रु. का अनुबंध मिला

देहरादून में 8 चेक गेट, हरिद्वार में 13, नैनीताल में 10 और उधम सिंह नगर में 9 चेक गेट होंगे

बेंगलूरु/देहरादून/दक्षिण भारत। प्रमुख दूरसंचार विनिर्माण कंपनी आईटीआई लिमिटेड को उत्तराखंड सरकार के भू-विज्ञान एवं खनन निदेशालय से खनन डिजिटल परिवर्तन एवं निगरानी प्रणाली (एमडीटीएसएस) परियोजना के लिए लगभग 95 करोड़ रुपए का अनुबंध मिला है।

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उत्तराखंड सरकार ने राज्य में अवैध खनन और खनिज परिवहन की प्रभावी रोकथाम तथा अपने राजस्व में वृद्धि के लिए इस परियोजना की परिकल्पना की थी।

इस अनुबंध के हिस्से के रूप में, आईटीआई लि. देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जिलों में एमडीटीएसएस के विकास, कार्यान्वयन और रखरखाव के लिए कार्य एजेंसी होगी। इस तरह आईटीआई लि. और उत्तराखंड सरकार के बीच पांच वर्षों के लिए 95 करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

ये सिस्टम देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में 40 चेक गेटों पर लगाए जाएंगे। देहरादून में 8 चेक गेट, हरिद्वार में 13, नैनीताल में 10 और उधम सिंह नगर में 9 चेक गेट होंगे।

बुलेट कैमरा, आरएफआईडी रडार और एलईडी फ्लडलाइट्स से लैस नई प्रणाली न केवल अवैध खनन गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगी, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को भी बढ़ाएगी। इसके अलावा, देहरादून में खनन राज्य नियंत्रण केंद्र (एमएससीसी) स्थापित किया जाएगा। साथ ही देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर में जिला मुख्यालयों पर मिनी कमांड सेंटर स्थापित किए जाएंगे।

इस अवसर पर आईटीआई लि. के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजेश राय ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी हुई कि उत्तराखंड सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने के अपने प्रयासों में आईटीआई को प्रौद्योगिकी साझेदार के रूप में चुना है। आईटीआई उत्तराखंड सरकार को उसके उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अपनी मजबूत टेक डोमेन विशेषज्ञता का लाभ उठाएगी। हम अन्य राज्यों के साथ भी ऐसी परियोजनाओं की तलाश कर रहे हैं, जहां हम उनकी मदद कर सकें।'

राय ने कहा, 'अवैध खनन से वनों की कटाई, मृदा अपरदन, जल प्रदूषण हो सकता है तथा वन्य जीवों के आवास नष्ट हो सकते हैं, जिसके गंभीर परिणाम संभव हैं। इससे प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव पड़ सकते हैं, क्योंकि कर चोरी के कारण सरकारों को राजस्व का नुकसान होगा। इसलिए हम ऐसी समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्य सरकारों की मदद करने के वास्ते उत्साहित हैं।'

बता दें कि हाल में आईटीआई लि. अपने कंसोर्टियम पार्टनर के साथ अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, हिप्र, प. बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को शामिल करते हुए भारतनेट चरण-3 परियोजना के पैकेज संख्या 8, 9 और 15 के लिए एल1 के रूप में उभरी है, जिसका कुल ऑर्डर मूल्य 4559 करोड़ रुपए है।

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