निरंतर मजबूत हो रही है भारतीय नौसेना
नौसेना का वह हमला इतना आक्रामक था कि कराची बंदरगाह पूरी तरह बर्बाद हो गया
Photo: IndianNavy FB Page
योगेश कुमार गोयल
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भारतीय नौसेना का वह हमला इतना आक्रामक था कि कराची बंदरगाह पूरी तरह बर्बाद हो गया था और कराची तेल डिपो पूरे सात दिनों तक धू-धूकर जलता रहा था| तेल टैंकरों में लगी आग की लपटों को ६० किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता था| उस हमले में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज तबाह होने के कारण पाकिस्तानी नौसेना की कमर टूट गई थी| भारतीय नौसेना द्वारा किए गए हमले में तीन विद्युत क्लास मिसाइल बोट, दो एंटी-सबमरीन और एक टैंकर शामिल थे और युद्ध में भारतीय नौसेना ने पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया था| ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने वाली भारतीय नौसेना की शक्ति और बहादुरी को सलाम करने के लिए ४ दिसम्बर को भारतीय नौसेना दिवस मनाने की शुरूआत हुई्| नौसेना दिवस हर साल एक खास थीम के साथ मनाया जाता है और २०२४ के नौसेना दिवस का विषय है नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से शक्ति और शक्ति’|
नौसेना दिवस समारोह में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की योजना विशाखापट्टनम स्थित भारतीय नौसेना कमान द्वारा तैयार की जाती है| समारोह की शुरुआत युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित करके की जाती है, उसके बाद नौसेना की पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि की ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया जाता है| नौसेना के मुंबई स्थित मुख्यालय में इस अवसर पर नौसैनिक अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं और गेटवे ऑफ इंडिया बीटिंग रीट्रिट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है| भारतीय नौसेना मुख्य रुप से तीन भागों (वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड तथा दक्षिणी नेवल कमांड) में बंटी है| वेस्टर्न नेवल कमांड का मुख्यालय मुंबई में, ईस्टर्न नेवल कमांड का विशाखापत्तनम में और दक्षिणी नेवल कमांड का कोच्चि में है| वेस्टर्न तथा ईस्टर्न कमांड ऑपरेशनल कमांड है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को संभालती है जबकि दक्षिणी नेवल कमांड ट्रेनिंग कमांड है| केरल स्थित एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है| भारत के राष्ट्रपति भारतीय नौसेना के सुप्रीम कमांडर हैं्| वॉइस एडमिरल राम दास कटारी २२ अप्रैल १९५८ को भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय चीफ बने थे| भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है शं नो वरूणः’ अर्थात् जल के देवता वरूण हमारे लिए मंगलकारी रहें्|
भारतीय नौसेना का कार्य भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना है और इसके गठन का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है| ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष १६१२ में ब्रिटिश व्यापारियों के जहाजों की सुरक्षा के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी मरीन’ के रूप में की थी| वर्ष १६८६ तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो जाने के बाद इस दस्ते का नाम ईस्ट इंडिया मरीन’ से बदलकर बॉम्बे मरीन’ कर दिया गया, जिसने मराठा, सिंधी युद्ध के साथ-साथ वर्ष १८२४ में बर्मा युद्ध में भी हिस्सा लिया था| वर्ष १८९२ में इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी’ रखा गया| देश की आजादी के बाद वर्ष १९५० में नौसेना का गठन फिर से किया गया और २६ जनवरी १९५० को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी से बदलकर इंडियन नेवी (भारतीय नौसेना) कर दिया गया|
भारतीय नौसेना वर्तमान में विशालकाय और एडवांस फीचर से लैस अपने युद्धक पोतों, सबमरीन्स इत्यादि के बलबूते दुनियाभर में चौथे स्थान पर है| मौजूदा समय में भारतीय नौसेना की ताकत पर नजर डालें तो भारतीय नौसेना के बेड़े में दो विशाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत के अलावा अनेक अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट, वॉरफेयर शिप, सबबमरीन तथा अन्य सैन्य साजो-सामान हैं, जो इसे दुनिया में चौथी सबसे मजबूत नौसेना बनाते हैं्| बहरहाल, यह गर्व की बात है कि हिन्द महासागर में ड्रैगन के कब्जे की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार विध्वंसक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में लगा है| इसी कड़ी में आईएनस कलवरी, खंडेरी और आईएनएस करंज के बाद स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वेला को नौसेना में शामिल किया जा चुका है, जो अत्याधुनिक मशीनरी और टैक्नोलॉजी के साथ-साथ घातक हथियारों से भी लैस है| इस सबमरीन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, जो दुश्मन को उसकी मौत की भनक तक नहीं लगने देती| कुल मिलाकर, भारतीय नौसेना की ताकत दिनों-दिन बढ़ रही है और वर्तमान में इसकी ताकत के आगे पाकिस्तानी नौसैना कहीं नहीं ठहरती तथा चीन की चुनौतियों का भी हमारी नौसेना डटकर मुकाबला कर रही है|