जैन श्रावकाचार है सबके प्रति न्याय: आचार्य विमलसागरसूरी
सर्वाधिक न्याय इसी जीवनशैली से संभव है

उपकार व सहयाेग भाव से ही संसार में जीवनयापन हाे सकता है
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। साेमवार काे पार्क वेस्ट अपार्टमेन्ट के बैंक्वेट हाॅल में चाराें प्रमुख जैन संप्रदायाें की संयुक्त धर्मसभा काे मार्गदर्शन देते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि जैन श्रावकाचार पृथ्वी पर गृहस्थ के लिए सर्वश्रेष्ठ जीवनशैली है। जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य, जलवायु और पर्यावरण, सबके प्रति सर्वाधिक न्याय इसी जीवनशैली से संभव है।
सामान्य से विशेष और सरल से कठिन, इस प्रकार इसके अनेक स्वरूप हैं। यह किसी पर अपनी धार्मिक मान्यता थाेपने की चेष्टा नहीं, सुख-शांति पूर्वक अपना जीवन जीते हुए दूसराें काे भी शांति तथा गाैरव से जीने देने की व्यवस्था है।जैन दर्शन की मान्यता है कि परस्पर उपकार व सहयाेग भाव से ही इस संसार में जीवनयापन हाे सकता है। इस तरह ज्ञानपूर्वक आई वैचारिक क्रांति से ही जैन श्रावकाचार की परिपालन हाे सकती है। जैन श्रावकाचार काे सिर्फ धार्मिक मान्यता के रूप में देखना उचित नहीं है। यह एक सार्वभाैमिक समुचित व्यवहारिक जीवनचर्या है।
कुछ अपनाना, कुछ का त्याग कर देना, निर्धारित प्रतीकाें या वस्त्राें काे धारण करना, रात्रि भाेजन न करना, तपस्या करना अथवा नित्य पूजा-पाठ करना, इतनी सीमित या संकुचित जीवनशैली नहीं हैं जैन श्रावकाचार। यदि जैन अनुयायी श्रावकाचार की संपूर्ण परिभाषा और उसके रहस्याें काे नहीं समझते हैं ताे वह उनकी कमजाेरी हैं।
जैनाचार्य ने आगे कहा कि प्राणीमात्र काे बचाने का प्रयत्न करना, अकारण हिंसा से बचना, पानी, बिजली खनिज, वनस्पति आदि प्राकृतिक संपदा काे व्यर्थ न करना, संसाधनाें का मर्यादित उपयाेग करना, चाेरी न करना, झूठ न बाेलना, वेश्यावृत्ति न करना, भाेग-विलास की वृत्तियाें काे नियंत्रित करना, व्यसनमुक्त जीवन जीना, अधिक मात्रा में साधन-सामग्रियाें काे एकत्रित न करना, कम नाप-ताेल न करना, मिलावट न करना, विश्वासघात न करना, बकाया धन चुकता करना इत्यादि जैन श्रावकाचार के धर्मशास्त्राें में वर्णित अनेकानेक नीति-नियम हैं। ये बंधन नहीं, आदर्श गृहस्थ जीवन की आधारशिला है।
गणि पद्मविमलसागरजी ने बताया कि मर्यादाओं और नीति-नियमाें के बिना जीवन की गति-प्रगति का काेई निर्धारण नहीं हाे सकता। मनुष्य के भटकते मन के लिये नीति-नियम अंकुश का काम करते हैं।
विनाेद राठाैड़ ने कार्यक्रम की संयाेजना की। कमलेश राठाैड़ ने बताया कि नगरथपेट से संतजनाें के पार्क वेस्ट पधारने पर सैकड़ाें श्रद्धालुओं ने एकत्रित हाेकर उनका स्वागत किया।
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