आपदा को ‘अवसर’ में बदला

आपदा को ‘अवसर’ में बदला

आपदा को ‘अवसर’ में बदला

शिजी सी. बालाकृष्णन

केरल की शिजी सी. बालाकृष्णन ने लॉकडाउन में स्थापित किया पापड़ का कारोबार

.. राजीव शर्मा ..

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तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। कोरोना महामारी के कारण जब काम-धंधे बंद होने लगे तो देशभर में लोगों को तकलीफदेह दौर का सामना करना पड़ा। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने आपदा को ‘अवसर’ में बदल लिया, कुछ नया सीखने और जीवन में कुछ नया करने के लिए।

केरल के त्रिशूर की निवासी शिजी सी. बालाकृष्णन ने लॉकडाउन में आर्थिक दिक्कतों का सामना किया। उनके पति का करीब छह साल पहले निधन हो चुका है। दो बच्चों की मां शिजी के लिए परिवार चलाना बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहा था।

एक दिन उन्होंने फेसबुक पर गुजरात के एक किसान के बारे में पढ़ा जिन्हें विभिन्न प्रकार के पापड़ बनाने में महारत हासिल थी। यह पढ़कर शिजी को याद आया कि उन्हें भी तो पापड़ बनाना बहुत अच्छा लगता है। चूंकि रसोई का काम करने के कारण उन्हें मसालों की काफी समझ है। अगर इस अनुभव का इस्तेमाल पापड़ बनाने में किया जाए तो कैसा हो?

बस, इसी सोच के साथ शिजी ने अलग-अलग रंगों और मसालों के पापड़ बनाने शुरू कर दिए। उन्होंने नारियल, कढ़ी पत्ता, कटहल, अदरक, गाजर, टमाटर, मिर्च, केला और कई फलों, सब्जियों के साथ प्रयोग कर पापड़ बनाए। उन्होंने आस-पड़ोस के लोगों को ये पापड़ चखकर अपने अनुभव बताने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, ‘ये शानदार हैं।’ इससे शिजी का आत्मविश्वास बढ़ा और यहीं से शुरू हुई ‘अम्मा फूड प्रॉडक्ट्स ब्रांड’ की कहानी। अब शिजी के पापड़ आसपास के इलाकों में मशहूर हो चुके हैं और अन्य जिलों से भी मांग हो रही है। उन्हें केरल तथा दूसरे राज्यों से फोन आते हैं और लोग पापड़ खरीदने की इच्छा व्यक्त करते हैं।

आपदा को ‘अवसर’ में बदला
शिजी द्वारा बनाए गए पापड़

शिजी के लिए अब तक का सफर बहुत संघर्षभरा रहा है। पति के गुजर जाने के बाद वे एक कंपनी में नौकरी करने लगी थीं। किसी तरह परिवार का गुजारा हो रहा था कि कोरोना महामारी आ गई। बदलती वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण कंपनी बंद हो गई और शिजी की नौकरी जाती रही।

शुरुआत में उन्होंने यूट्यूब के वीडियो देखकर मास्क आदि बनाने शुरू किए लेकिन इनसे इतनी कमाई नहीं होती थी कि परिवार का गुजारा हो सके। फिर उन्होंने पापड़ बनाने वाले किसान के बारे में फेसबुक पर समाचार पढ़ा और इसके जरिए नई शुरुआत का फैसला किया। आज शिजी करीब 12 प्रकार के पापड़ बनाती हैं और बहुत आत्मविश्वास के साथ इस सफर को जारी रखे हुए हैं।

जब शिजी को पापड़ बनाने के लिए सामग्री और मसालों की जरूरत हुई तो उन्होंने अपने बगीचे से इसकी पूर्ति की। धीरे-धीरे जब पापड़ की मांग बढ़ने लगी तो उन्होंने स्थानीय दुकानों से सामग्री खरीदी। शिजी बताती हैं कि वे पैसों से ज्यादा गुणवत्ता को महत्व देती हैं और यही वजह है कि ताजा सामग्री का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि उत्पाद के प्रति खरीदार का भरोसा कायम रखना किसी भी व्यवसाय के लिए सबसे बड़ी पूंजी है।

सबक:
1. मुश्किल हालात भी नए अवसरों के दरवाजे खोल सकते हैं, बस जरूरत है अपने हुनर को पहचानने की।
2. इंटरनेट का सही इस्तेमाल आपको ऊर्जा देता है।

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