कर्नाटक में गहराया राजनीतिक संकट, सरकार बचाने के लिए भेजे गए वेणुगोपाल

कर्नाटक में गहराया राजनीतिक संकट, सरकार बचाने के लिए भेजे गए वेणुगोपाल

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, मंत्री एचडी रेवन्ना, जीटी देवेगौड़ा और अन्य मंगलवार को बेंगलूरु में एक बैठक के दौरान।

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में जनता दल (एस) के साथ चल रही कांग्रेस की गठबंधन सरकार पर अब संकट के बादल गहरा रहे हैं। दोनों सहयोगी दलों के बीच दरार पड़ने की खबरों के बीच अपने किले को बचाने के लिए दिल्ली से कांग्रेस के वरिष्ठ और राज्य के प्रभारी केसी वेणुगोपाल को बेंगलूरु भेजा गया है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येड्डीयुरप्पा ने राज्य में मध्यावधि विधानसभा चुनाव की मांग कर दी है।

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उन्होंने मंगलवार को कहा, बेहतर होगा कि राज्य में सत्तारू़ढ कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन विधानसभा को भंग कर दे और नए सिरे से चुनाव हों। राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर भाजपा ने जीत हासिल की है और 224 विधानसभा सीटों में से 105 विधायकों के साथ हम नंबर एक पर हैं। ऐसे में वे विधानसभा भंग कर दें और नए सिरे से चुनाव कराएं। हम इसका स्वागत करेंगे।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी के भीतर से विरोध के सुर उठने लगे हैं। पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष के बीच गठबंधन नेताओं को डर है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा कुछ विधायकों को खरीद सकती है। बीते रविवार को ही पार्टी के दो विधायकों ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एसएम कृष्णा के बेंगलूरु स्थित घर पर उनसे मुलाकात की थी। वैसे, इस दक्षिणी राज्य में गठबंधन सरकार बनने के बाद से ही इसके गिरने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।

लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस और जनता दल (एस) को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि राज्य सरकार 10 जून के बाद गिर जाएगी।आपको बता दें कि आम चुनावों में दोनों पार्टियों को कर्नाटक में मात्र 1-1 सीट मिली। कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 25 सीटें झटक लीं और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सुमलता अंबरीश विजयी हुईं।

कांग्रेस के दो विधायक- राजेश और सुधाकर ने कृष्णा के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। हालांकि बाद में उन्होंने दावा किया था कि यह मुलाकात राजनीतिक नहीं थी पर इसके बाद राज्य सरकार के जल्द गिरने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया। इन राजनीतिक उठा-पटक के बीच सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से जा रहे कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेता राज्य सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से मुलाकात कर संकट को दूर करने का प्रयास करेंगे।

पार्टी की प्रदेश इकाई ने पहले से ही 29 मई को कांग्रेस विधायी दल की बैठक बुला रखी है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के पहले ही भाजपा नेता कह रहे थे कि २३ मई के बाद कांग्रेस-जनता दल (एस) की सरकार गिर जाएगी। २२५ विधानसभा सीटों वाली राज्य विधानसभा में भाजपा के १०५ सदस्य हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 सदस्य हैं जिनमें कांग्रेस के 79, जनता दल (एस) के 37 और बीएसपी के एक विधायक शामिल हैं।

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