मद्रास हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक विश्वासमत पर लगाई रोक
मद्रास हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक विश्वासमत पर लगाई रोक
चेन्नई। विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल द्वारा टीटीवी दिनाकरण के समर्थक १८ विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मद्रास उच्च न्यायालय में बुधवार को सुनवाई हुई। इस मामले में उच्च न्यायालय ने एक बार और दिनाकरण समर्थकों को झटका दिया है। अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के १८ बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने पर रोक लगाए बिना मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को ऑर्डर दिया है कि तमिलनाडु विधानसभा में अगले आदेश तक कोई विश्वासमत पेश नहीं किया जाए।ज्ञातव्य है कि अयोग्य करार दिए गए १८ विधायकों में से आठ विधायक कल अदालत पहुंचे थे। उन्होंने दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ उठाए गए कदम को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी अलग-अलग याचिकाओं में स्पीकर पी धनपाल के आदेश पर हमला बोला और इस आदेश को अनाधिकृत और अवैध बताया। इन याचिकाओं में मांग की गई थी कि विधानसभा अध्यक्ष, सरकारी प्रमुख सचेतक एस राजेंद्रन, मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और विधानसभा सचिव को निर्वाचित प्रतिनिधियों के तौर पर उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने से रोका जाए। राजेंद्रन की याचिका पर कदम उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने गत सोमवार को दलबदल विरोधी कानून और संविधान की १० वीं अनुसूची के तहत १९८६ में बने अयोग्यता संबंधी नियमों के तहत १८ विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था। ये विधायक अन्नाद्रमुक के नेता टीटीवी दिनाकरण के समर्थक थे। विधायकों ने २२ अगस्त को राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात करके मुख्यमंत्री में अविश्वास जताया था। इसके बाद मुख्य सचेतक विधानसभा अध्यक्ष के पास गए थे। दिनाकरण ने विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की निंदा करते हुए कहा था कि वह विधानसभा अध्यक्ष के कदम को कानूनी तौर पर चुनौती देंगे। इस मामले में पी वेट्रीवल, एन जी प्रतिबन, पी पलानीयप्पन, जयंती पदमनाभन, सेंथिल बालाजी, आर मुरूगन, आर बालसुब्रमणि और एस मुथैया ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पारित किए गए अयोग्यता संबंधी आदेश को अनाधिकृत, अवैध और अधिकार क्षेत्र से परे बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि वह १८ सितंबर के विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाएं और उन्हें मौजूदा सरकार पर विश्वास मत के साथ-साथ विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दे।