मंदिरों में ॐ नम: शिवाय का मंत्र गूंजता रहा

मंदिरों में ॐ नम: शिवाय का मंत्र गूंजता रहा

बेंगलूरु। कर्नाटक के विभिन्न शहरों में धूमधाम से महाशिव रात्रि का पर्व मनाया गया। इस मौके पर ब़डी संख्या में श्रद्धालुओं ने विभिन्न मंदिरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर शिव मंदिरों के आसपास भारी भी़ड देखी गयी। बेंगलूरु से लगभग ५० किमी दूर कोलार के पास कोटिलिंगश्वरा’’ में विशेष पूजा का आयोजन हुआ। गौरतलब है कि यहां एक करो़ड शिवलिंग स्थापित हैं। शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं ने उपवास रख कर पूजा-अर्चना की और शिव के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की। बताया जाता है कि शिव की आराधना कल सुबह तक जारी रहेगी।मैसूरु के मंदिरों में ॐ नम: शिवाय का मंत्रोच्चारण गूंजता रहा। इस मौके पर विशेष पूजा के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की कतार देखी गयी। गौरतलब है कि मैसूरु के पुराने इलाके में ब़डी संख्या में शिव मंदिर हैं, इनमें से नंजनगुड के श्रीकंठेश्वरा मंदिर और चामराजनगर के एसएस हिल्स स्थित मलैमहादेवश्वरा मंदिर और मैसूरु पैलेस परिसर स्थित त्रिनयनेश्वर मंदिर अधिक विख्यात हैं। शिवरात्रि के मौके पर यहां भी ब़डी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और भगवान शिव का अभिषेक किया। हजार साल पुराने पुरातात्विक महत्व वाले नंजनगुड स्थित मंदिर के आसपास श्रद्धालु कल शाम से जुटने लगे थे। ब़डी संख्या में श्रद्धालु वहां मंदिर के सामने कतार लगाने से पहले कपिला नदी में डुबकी लगायी। मैसूरु से २४ किमी की दूरी पर नंजनगुड दक्षिण के काशी के रूप में भी जाना जाता है और पौराणिक शास्त्रों में उल्लेखित परशुराम और गौतम की कथाओं के लिए यह स्थल जाना जाता है। शिवरात्रि के मौके पर यहां विशेष पूजा हुई और मंदिरों में रूद्रम चमकम ध्वनि गूंजती रही। श्रद्धालुओं ने भगवान पर विल्वपत्र अर्पित किया। त्रिनयनेश्वर मंदिर में सुबह से ब़डी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था। पैलेस फोर्ट के उत्तर-पूर्व कोने में यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर द्रविि़डयन स्थापत्य कला का एक नमूना है, जिसे वाडेयार वंश के उत्तराधिकारी राजाओं द्वारा विकसित किया गया है।यहां शिवलिंग पर सोने का आवरण श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। गौरतलब है कि अंतिम महाराजा जयचामराजेन्द्र वाडेयार ने शिवलिंग को लगभग १२ किग्रा. सोने से म़ढा था। प्राचीन चामुंडी हिल्स के महाबलेश्वरा मंदिर में भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं की काफी भी़ड देखी गयी। भगवान शिव का यह मंदिर ११वीं या १२ वीं सदी का निर्मित है। यह मंदिर चामुंडी हिल्स की चोटी पर है, यह महाबला बेट्टा कहलाता है। इस मंदिर के प्रकारा और ब़डा गोपुरा को १७५३ में कलाला नंजाराजा ने बनवाया था।१०८ शिवलिंगों वाले रामानुजा रोड स्थित गुरुकुला में भी इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भी़ड देखी गयी। कपिला नदी के तट पर स्थित सुत्तूर में भी श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। हालांकि मैसूरु में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन मैसुरू पैलेस प्रांगण का त्रिनयनेश्वरा मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और पवित्रता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। मंदिर परिसर में अनेकानेक शिवलिंग स्थापित हैं और साल भर श्रद्धालु उन पर बिल्वपत्र च़ढाया करते हैं्। इसके बाद वे मुख्य मंदिर त्रिनयनेश्वरा के दर्शन किया करते हैं।बेलगावी जिले और शहर के विभिन्न शिव मंदिरों में भारी संख्या में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने महाशिवरात्रि का त्यौहार ब़डे धूमधाम से मनाया। सुबह से ही सदियों पुराने कपिलेश्वर मंदिर में हाथों में दूध का पैकेट और अन्य पूजन सामग्री लिये श्रद्धालु कतारबद्ध ख़डे रहे। कपिलेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए महाराष्ट्र के कोल्हापुर और गोवा से भी श्रद्धालु आया करते हैं्। मंदिर समिति के सदस्य श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद और गंगाजल का इंतजाम रखते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पा सुरक्षा के मद्देनजर तमाम जगहों पर पुलिस विभाग की चौकसी है।

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