दिनाकरण चुनाव चिन्ह मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा
दिनाकरण चुनाव चिन्ह मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा
नई दिल्ली/चेन्नई। अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम से अलग किए जा चुके नेता टीटीवी दिनाकरण ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि उन्हें स्थानीय निकायों के चुनावों या किसी अन्य चुनाव में होने वाले चुनावों में मतदाताओं के समक्ष अपने आप को पेश करने के लिए अस्थायी नाम और चुनाव चिन्ह चाहिए। उन्होंने न्यायालय को बताया कि जब उनके द्वारा पार्टी के चुनाच चिन्ह संबंधित मामले का निपटारा नहीं हो जाता तब तक के लिए उनके समूह के लिए कोई अस्थायी नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित करने का आदेश भारतीय निर्वाचन आयोग को दिया जाए। दिनाकरण ध़डे की ओर से न्यायाधीश रेखा पल्ली के समक्ष यह याचिका दायर की गई। इस याचिका में उन्होंने अपनी पार्टी के लिए ’’प्रेशर कुकर’’ चुनाव चिन्ह का अस्थायी आवंटन करने का अनुरोध किया है। ्यख्रद्मय्·र्ैंद्यह्लय् झ्ूय् द्मष्ठ फ्रुद्वय्य्ॅ त्रर्द्म द्मय्द्बशशिकला-दिनाकरण गुट ने न्यायालय को तीनों नामों की सूची भी सौंपी है जो उन्हें आवंटित किया जा सकता है। यह तीन नाम अखिल भारतीय अम्मा अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम, एमजीआर अम्मा द्रवि़डार मुनेत्र कषगम और एमजीआर द्रवि़डार कषगम हैं। शशिकला गुट ने कहा कि इन तीन नामों में से कोई एक नाम उनके ध़डे को अस्थायी रूप से आवंटित किया जाए। ज्ञातव्य है कि न्यायालय इस याचिका का विरोध करने वाले निर्वाचन आयोग, अन्नाद्रमुक के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के ध़डे की दलीलें सुन चुका है और यह स्पष्ट कर चुका है कि इस प्रकार के मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता।़द्भय्द्भय्ध्द्भ ·र्ैंह् ब्स् ृैंत्र्यद्यद्ब द्यय्ब्त्र ख्रष्ठद्मष्ठ ·र्ैंर् प्रय्यर्टैंजब यह याचिका सुनवाई के लिए न्यायालय के समक्ष आई तो दिनाकरण गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी उपस्थित हुए। इन दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अदालत से कहा कि चुनाव आयोग ने अदालत को इस प्रकार के मामलों में अंतरिम राहत प्रदान करने की शक्ति दी है। पलानीस्वामी-पन्नीरसेल्वम गुट और चुनाव आयोग ने न्यायालय के समक्ष पहले यह तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ऐसा कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकता है। शशिकला-दिनाकरण गुट के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से कहा कि अगर उनके मुवक्किल को अस्थायी नाम और प्रतीक आवंटित किया जाता है तो दूसरे पक्ष की ओर से कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा क्योंकि उनके पास पहले से अन्नाद्रमुक(अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम) नाम और ’’दो पत्तियों’’ का चुनाव निशान है और इसलिए वह अंतरिम राहत के लिए दायर याचिका का विरोध नहीं कर सकते हैं।घ्रुद्मय्प् ्यत्र्यत्र् ·र्ैंय् ंैंत्रज्य्द्य ·र्ैंद्यद्मष्ठ फ्ष्ठ ब्ह्ख्र् ख्रष्ठद्यदिनाकरण के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से कहा कि यदि उनके मुवक्किल को एक अस्थायी नाम और चुनाव चिन्ह देकर लोगों के साथ जु़डने और अपने पक्ष में एक अस्थायी चुनाव चिन्ह के माध्यम से चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो यह सबके लिए समान न्याय नहीं होगा। इसके वकीलों ने यह भी कहा था कि दिनाकरण गुट को चुनाव चिन्ह आवंटित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तिथि की घोषणा करने का इंतजार करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा करने पर बहुत देर हो जाएगी और दिनाकरण गुट को अपूरणीय क्षति का सामना करना प़डेगा जोकि यह गुट पहले से ही कर रहा है।ब्द्बष्ठ्र ्यप्थ्य्द्भ·र्ैंह्र ृय्स्द्य फ्य्ैंफ्ख्रह्र ·र्ैंय् ब्स् फ्द्बत्र्श्चद्मकपिल सिब्बल ने उच्च न्यायालय से कहा कि हमें राजनीति से बाहर नहीं किया जाना चहिए क्योंकि हम राज्य विधान सभा के कुछ सदस्यों और संसद के कुछ सदस्यों का भी समर्थन रखते हैं। ज्ञातव्य है कि चुनाव आयोग और पलानीस्वामी-पन्नीरसेल्वम गुट ने पहले यह तर्क दिया था कि शशिकला-दिनाकरण गुट को कोई अस्थायी राहत देने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि अभी तक राज्य में चुनाव की तिथि की घोषणा नहीं की गई है। अब तक कोई भी चुनाव नहीं घोषित किया गया है। गौरतलब है कि शशिकला-दिनाकरण गुट द्वारा एक उपयुक्त नाम और प्रतीक का इस्तेमाल करने की अनुमति देने की मांग के साथ यह याचिका चुनाव आयोग द्वारा २३ नवंबर २०१७ को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट को वास्तविक अन्नाद्रमुक करार दिया गया था। हालांकि न्यायालय ने इस मामले मंें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश अगले सुनवाई तक के लिए सुरक्षित रख ली।