किन तरीकों से देश एक-दूसरे की जासूसी करते हैं?
कई लोगों को किसी देश की जासूसी करने के लिए गुब्बारे का इस्तेमाल करने का विचार हास्यपद लग सकता है
देशों द्वारा खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं
मेलबर्न/द कन्वरसेशन। अमेरिकी हवाई क्षेत्र में उड़ते दिखे तथाकथित ‘चीनी जासूसी गुब्बारे’ को गिराए जाने की खबर के बाद इस बात में लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है कि कैसे देश एक- दूसरे की जासूसी करते हैं।
अमेरिका ने चीन पर अमेरिकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। वहीं चीन का कहना है कि उसके गुब्बारे को गिराकर अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है और आगाह किया कि वह जवाब में उचित कार्रवाई करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करेगा।कई लोगों को किसी देश की जासूसी करने के लिए गुब्बारे का इस्तेमाल करने का विचार हास्यपद लग सकता है। हालांकि वास्तविकता यह है कि जब आपको अपने विरोधियों पर वर्चस्व कायम करना होता है तो आप कोई भी हथकंडा अपनाते हैं।
इसके साथ ही देशों द्वारा खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। इसमें कुछ इस प्रकार हैं ...
संकेत (सिग्नल) जासूसी:
‘सिग्नल इंटेलिजेंस’ खुफिया जानकारी बटोरने का एक प्रमुख तरीका है। इसमें लक्ष्य के उपकरण से आने वाले संकेतों और संचार को लक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की जमीनी व अंतरिक्ष-आधारित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसके जरिए अकसर बेहद संवेदनशील जानकारी हासिल की जाती है, जो बताता है कि ‘सिग्नल इंटेलिजेंस’ जासूसी करने का का सबसे विवादित तरीका क्यों माना जाता है।
भू-स्थानिक जासूसी:
भू-स्थानिक जासूसी जलमार्ग सहित जमीन पर उसके नीचे मानव गतिविधियों से संबंधित है। यह आम तौर पर सैन्य और नागरिक निर्माण, मानव गतिविधियों (जैसे शरणार्थियों और प्रवासियों की आवाजाही) और प्राकृतिक संसाधन पर केंद्रित होती है।
भू-स्थानिक जासूसी उपग्रहों, ड्रोन, ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों और यहां तक कि गुब्बारों के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर की जाती है।
जासूसी गुब्बारे न केवल छवि और संकेत एकत्र कर सकते हैं, बल्कि हवा का रासायनिक विश्लेषण भी कर सकते हैं। ये आम नहीं हैं क्योंकि गुब्बारे आसानी से लोगों की नजर में आ जाते हैं।
छवि जासूसी (इमेजरी इंटेलिजेंस):
छवि जासूसी, भू-स्थानिक जासूसी से काफी हद तक जुड़ी मानी जाती है। इसमें अकसर उपग्रहों, ड्रोन और विमानों का इस्तेमाल भी किया जाता है।
इसमें सैनिकों और हथियार प्रणालियों के रणनीतिक आवाजाही को लक्षित किया जाता है, खासकर सैन्य ठिकानों, परमाणु शस्त्रागार और अन्य सामरिक संपत्तियों को लक्षित किया जाता है।
साइबर जासूसी:
साइबर जासूसी को आम तौर पर ‘सिग्नल इंटेलिजेंस’ से जोड़ा जाता है, लेकिन यह अलग है कि इसमें संरक्षित प्रणाली में प्रवेश करने और जानकारी हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से लोगों (जैसे हैकर्स के माध्यम से) का इस्तेमाल किया जाता है। इसे सिग्नल, मैलवेयर या हैकर्स के माध्यम से किसी प्रणाली में सीधे अनधिकृत पहुंच से अंजाम दिया जाता है। देश इससे अपने सहयोगियों के नेटवर्क को भी निशाना बना सकते हैं।
‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस’:
यह जासूसी करने का सबसे नया तरीका है। इसमें जानकारी विभिन्न प्रकार के प्राथमिक स्रोतों से आती है जैसे कि समाचार पत्र, ब्लॉग, आधिकारिक रूप से जानकारी साझा करना और रिपोर्ट। दूसरे स्रोत होते हैं विकीलीक्स, द इंटरसेप्ट और सोशल मीडिया मंच आदि से मिली जानकारी।
‘ह्यूमन इंटेलिजेंस’:
यह जासूसी करने का सबसे पुराना तरीका है और शायद सबसे प्रसिद्ध भी है। जासूसों को आम तौर पर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है, घोषित खुफिया अधिकारी, आधिकारिक रूप से छुपकर काम करने वाले लोग तथा सैन्य कर्मी व दूतावास/नागरिक सहायता कर्मी जो गैर-आधिकारिक जासूस होते हैं और अकसर वाणिज्यिक, अकादमिक तथा कारोबार जगत में कई पदों पर काम करते हैं।