एसएसई को अलग खंड के रूप में शुरू करने की एनएसई को मिली अंतिम स्वीकृति
सोशल स्टॉक एक्सचेंज खंड सामाजिक उद्यमों को सामाजिक पहलों के वित्तपोषण के लिए नया अवसर देगा
योग्य एनपीओ के लिए एक्सचेंज से जुड़ने का पहला चरण सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट में पंजीकरण के साथ शुरू होता है
मुंबई/दक्षिण भारत। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया को एनएसई के एक अलग खंड के रूप में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) स्थापित करने के लिए बुधवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से अंतिम स्वीकृति मिल गई।
बता दें कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज खंड सामाजिक उद्यमों को सामाजिक पहलों के वित्तपोषण के लिए नया अवसर देगा। साथ ही दृश्यता प्रदान करेगा और सामाजिक उद्यमों द्वारा धन जुटाने और उपयोग में अधिक पारदर्शिता लाएगा। कोई भी सामाजिक उद्यम, गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) या फ़ायदेमंद सामाजिक उद्यम (एफपीई), जो सामाजिक आशय की अपनी प्रधानता स्थापित करता है, सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट में पंजीकृत/सूचीबद्ध हो सकता है।योग्य एनपीओ के लिए एक्सचेंज से जुड़ने का पहला चरण सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट में पंजीकरण के साथ शुरू होता है। उसके बाद एनपीओ सार्वजनिक निर्गम या प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल (जेडसीजेडपी) जैसे उपकरणों को जारी करके धन जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। वर्तमान में ज़ेडसीज़ेडपी जारी करने के लिए न्यूनतम निर्गम आकार एक करोड़ रुपए और सदस्यता के लिए न्यूनतम आवेदन आकार 2 लाख रुपए निर्धारित है।
एफपीई के लिए प्रतिभूतियों को जारी करने और सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया वही होगी, जो एक्सचेंज की मौजूदा प्रक्रियाओं के तहत प्रतिभूतियों को जारी करने और सूचीबद्ध करने के लिए लागू होती है।
इस अवसर पर एनएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार चौहान ने सेबी को धन्यवाद देते हुए कहा, 'जागरूकता लाने के लिए हम विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। वर्तमान में एक्सचेंज पर ऑनबोर्डिंग के विभिन्न चरणों में सामाजिक उद्यमों को संभाल रहे हैं।'
उन्होंने सोशल एंटरप्राइजेज से अनुरोध किया कि वे सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट में पंजीकरण और लिस्टिंग से पद्धति और लाभों को समझने के लिए टीमों से संपर्क में रहें।