अयोध्या: श्रीराम मंदिर निर्माण का कर्नाटक से है गहरा संबंध
मंदिर के लिए आंदोलन से लेकर निर्माण तक, देश के विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाले लोगों का योगदान रहा है
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अयोध्या/बेंगलूरु/दक्षिण भारत। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। जैसे-जैसे उद्घाटन की तारीख (22 जनवरी) नजदीक आ रही है, देशभर में उत्साह बढ़ता जा रहा है।
इस मंदिर के लिए आंदोलन से लेकर निर्माण तक, देश के विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाले लोगों का योगदान रहा है। कर्नाटक से ऐसे कई संत और कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने प्रभु श्रीराम के इस मंदिर के निर्माण में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। आइए, जानते हैं उनके बारे में ...पेजावर संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी
पेजावर संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी श्रीराम मंदिर के निर्माण की देखरेख से जुड़े 15 सदस्यीय ट्रस्ट में शामिल हैं। उन्होंने मंदिर निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए उडुपी से अयोध्या तक अनेक बार यात्राएं कीं और कई लोगों से मिले। भगवान श्रीराम की भक्ति एवं आध्यात्मिकता के प्रचार-प्रसार के लिए उनके प्रवचन देश-विदेश में सुने जाते हैं।
गोपाल नगरकट्टे
बेंगलूरु निवासी गोपाल नगरकट्टे लंबे समय से विहिप से जुड़े हैं। वे इस संगठन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव है, जिन्हें निर्माण कार्य की देखरेख के लिए अधिकार सौंपा गया है।
विहिप वह संगठन है, जो अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के आंदोलन में भी आगे रहा है। आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले गोपाल नगरकट्टे की श्रीराम मंदिर के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका है।
अरुण योगीराज
अरुण योगीराज मैसूरु के मूर्तिकार हैं, जिनकी ख्याति पूरे भारत में फैल गई है। इन दिनों सोशल मीडिया पर इनके कार्यों की खूब चर्चा हो रही है। ये पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। मीडिया में यह भी चर्चा है कि श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए जिस मूर्ति की स्थापना की जाएगी, उसका कार्य इनके द्वारा संपन्न होने को है।
अरुण ने अपनी कला के जरिए महान स्वंत्रता सेनानियों और संतों की मूर्तियां बनाई हैं। इनमें अमर जवान ज्योति पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति, केदारनाथ में विराजित आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति शामिल हैं। अरुण के पिता और दादा ने भी इस कला से प्रसिद्धि पाई थी।