योगाभ्यास से मिला दीर्घायु का वरदान, 99 की उम्र तक लाखों लोगों को दिया 'दिव्य ज्ञान'
आठ साल की उम्र में योगाभ्यास में निपुण हो गई थीं वी नानाम्मल
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बेंगलूरु/दक्षिण भारत। योगाभ्यास से दीर्घायु का वरदान पाने वाले अनेक योग शिक्षकों में वी नानाम्मल का नाम उल्लेखनीय है। उन्हें भारत की सबसे बुजुर्ग योग शिक्षिका कहा जाता था। उन्होंने 99 साल की उम्र पाई और अपने जीवन में लाखों लोगों को योगपथ पर चलने के लिए प्रेरित किया था।
नानाम्मल का जन्म 24 फरवरी, 1920 को तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित ज़मीन कलियापुरम में हुआ था। उनके पिता अनुभवी योगाभ्यासी थे। इस तरह नानाम्मल की योगयात्रा उनके घर से शुरू हुई थी। उन्होंने आठ साल की उम्र में 50 से ज्यादा योगासनों में महारत हासिल कर थी।नानाम्मल का परिवार योग के अलावा चिकित्सा और खेती से जुड़ा था। हालांकि वे लोग सार्वजनिक रूप से योगाभ्यास का प्रशिक्षण नहीं देते थे। नानाम्मल के पति भी चिकित्सा कार्य से जुड़े हुए थे। शादी के बाद उनकी प्राकृतिक चिकित्सा में रुचि पैदा हुई।
नानाम्मल ने साल 1972 में कोयंबटूर में योग केंद्र की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने अपने पिता से सीखा हुआ 'ज्ञान' लोगों को सिखाना शुरू कर दिया। उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार योगाभ्यास करते हुए अनेक लोग विभिन्न बीमारियों से मुक्त हुए।
कहा जाता है कि उन्होंने अपने योग स्कूल के जरिए 100,000 से ज्यादा लोगों को योगाभ्यास करना सिखाया। उन्होंने सैकड़ों योग प्रशिक्षक तैयार किए, जो आज कई देशों में योग का प्रचार कर रहे हैं।
नानाम्मल ने कोयंबटूर में 20,000 से ज्यादा लोगों को योग सिखाकर कीर्तिमान रचा था। उन्होंने खासकर महिलाओं के बीच योग के संबंध में बहुत जागरूकता फैलाई थी। उन्हें देश-विदेश में आयोजित कई बड़े कार्यक्रमों के निमंत्रण आते थे। लोगों के बीच उनका यूट्यूब चैनल बहुत मशहूर था।
एक बार नानाम्मल को चोट लग गई थी। इसके बावजूद उनका उत्साह कम नहीं हुआ था। उन्हें साल 2016 में राष्ट्रीय नारी शक्ति पुरस्कार और साल 2018 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वे 26 अक्टूबर, 2019 को देह त्याग कर ब्रह्मलीन हो गईं। आज भी लोग उन्हें 'गुलाबी साड़ी वाली दादी मां' के नाम से याद करते हैं।