थाईलैंड में भी एक अयोध्या, जहां मनाई जाती है दिवाली
थाईलैंड के राजा कुश के वंशज हैं
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नंदकिशोर अग्रवाल
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राम और सीता के लव और कुश दो पुत्र थे| भगवान राम ने अपने समय में ही राज्यों का बंटवारा कर पश्चिम में ’लव’ को लबपुर (लाहौर) और पूर्व में ’कुश को कुशावती भेजा| कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाते हुए एक नागवंशी कन्या से विवाह किया|
थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैं और यहां की राजधानी बैंकॉक थाइलैंड की अयोध्या है| इसे ’महेंद्र अयोध्या’ भी कहा जाता है| बौद्ध धर्म होने के बावजूद थाइलैंड के लोग अपने राजा को भगवान श्री राम का वंशज मानते हैं| १९३९ तक ’सियाम’ कहे जाने वाले थाईलैंड मैं संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना १९३२ में हुई|
थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रंथ ’रामायण’ है जिसे थाई भाषा में ’राम कियेन’ कहते हैं जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है जो बाल्मीकि रामायण पर आधारित है| यहां का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है और थाईलैंड संसद के सामने इसकी एक विशाल कृति बनी हुई है| थाईलैंड के हवाई अड्डा का नाम है ’सुवर्ण भूमि’ जो आकार में दुनिया का दूसरे नंबर का एयरपोर्ट है| इसके स्वागत हॉल के अंदर ’समुद्र मंथन’ का दृश्य अंकित है|
थाईलैंड में 'राम कियेन’ पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है| थाईलैंड में ’अयुत्थया’ शहर को अयोध्या की तरह पुकारा जाता है| थाईलैंड में दिवाली ’लाम त्रिक्क्तव्योंघ’ के नाम से जानी जाती है| यहां के लोग केले की पत्तियों से बने दीपक और धूप को रात में जलाकर जलते दीप को नदी के पानी में बहा देते हैं|