लेखन कला में असीमित सामर्थ्य
शब्द जीवंतता प्रदान करते हैं और जीवनशैली को बेहतर बनाने की ओर अग्रसर करते हैं
भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति का पुजारी एवं दूत कहा जाता है
संजीव ठाकुर
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मुंह से बोले गए शब्द और वाक्य बहुत सकारात्मक भी हो सकते हैं और बड़े ही भयंकर नकारात्मक भी हो सकते हैं| एक ही शब्द कहीं पर बड़े से बड़ा दंगा करवा सकते हैं और कहीं पर बोले गए प्यार के शब्द बड़े-बड़े विवादों में सुलह करा सकते हैं| शब्द की परिणति उसकी मुक्ति ही करती है| बड़े-बड़े राजनेता अभिनेता अपने मुंह से बोले गए शब्दों से लोकप्रियता के चरम पर पहुंच जाते हैं और कहीं किसी नेता के मुंह से निकला हुआ शब्द बाण समाज में विषाद और जहर भर देता है| शब्दों के जादूगर बड़ी-बड़ी आम सभाओं में सोच समझकर इस्तेमाल कर अपना सार्थक प्रभाव छोड़ते सत्ता परिवर्तन भी शब्दों के माया जाल से हि होता है| अंग्रेजी साहित्य में अरनेस्ट हेमिंग्वे को शब्दों का जादूगर माना जाता था उनके शब्दों का प्रभाव सीधे पाठकों के दिल तक पहुंच जाता था इसी तरह हिंदी में तुलसीदास विश्वव्यापी कवि है उनकी वाणी में सत्य और अमृत है| आधुनिक हिंदी साहित्य मेंअज्ञेय जी को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है उनकी शब्दावली कठिन होते हुए भी पढ़ने वालों के मर्म तक पहुंच जाती है| महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद हिंदी और देवनागरी लिपि को आत्मसात कर उपन्यास तथा कहानी और लिख कर अमृत्व को प्राप्त किया है| देवकीनंदन खत्री जी ने भी उपन्यासों खाकर चंद्रकांता संतति, भूतनाथ पढ़ने के लिए हिंदी को सीखा और मनन किया और लोकप्रिय उपन्यास की उत्पत्ति की, कबीर अपने फक्कड़पन की भाषा के कारण उत्तर भारत के सभी दिलों में समाए हुए हैं|
निसंदेह शब्द जीवंतता प्रदान करते हैं और जीवनशैली को बेहतर बनाने की ओर अग्रसर करते हैं और द्रौपदी द्वारा कहे गए शब्द महाभारत की उत्पत्ति का कारण बनते हैं| इसलिए सदैव कहा जाता है की संभलकर बोलने से सद्गति प्राप्त होती है| इसीलिए तो संभल कर सही और उपयुक्त शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए| जो सदैव अच्छा वक्ता होता है अपने विचारों को संभल कर बोलता है भले ही वह दिलों को ना छुए पर उसका जनमानस को जीतना तय होता है और संसार पर वही राज करता है जो अपने शब्दों का सही इस्तेमाल करता है, गलत शब्द से, गलत संभाषण से गलत विचारों से बोला गया वाक्य प्रलय भी ला सकता है| शब्दों को तौल कर विचार कर बोलना चाहिए अन्यथा उसके नतीजे भयानक भी हो सकते हैं| शब्दों की मार बहुत ही तेज और बहुत मीठी भी होती है एक शब्द महायुद्ध करवा सकता है और दूसरा शब्द ऐसी शीतल फुहॉंरे छोड़ता है कि सारा युद्ध उन्माद अखंड शांति में बदल जाता है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अमेरिका रूस,जापान, यूरोपीय देशों में दिए वहां के राष्ट्रपति व राजनेताओं द्वारा दिए गए भाषणों संभाषणों से युद्ध और कई बार शांति स्थापित हुई है| पाकिस्तान के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री तथा उनके कैबिनेट के मंत्री अपने दिए गए वक्तव्य से ही सारी दुनिया से अलग अलग हो गए हैं| और भड़काऊ भाषण के कारण आज दुर्गति को प्राप्त हुए हैं|
भारत शांति का दूत माना जाता है शांति स्थापना की सदैव मीठी वाणी बोलता आया है और यही कारण है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति का पुजारी एवं दूत कहा जाता है एवं सदैव अंतर्राष्ट्रीय विवादों में उनके राजनेताओं को मध्यस्थता अथवा समझौते के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है| यही कारण है कि रूस यूक्रेन के लंबे युद्ध में विश्व के पूरे देश एवं रूस तथा यूक्रेन के राजनेता भी भारत की ओर युद्ध की शांति की पहल की प्रतीक्षा कर रहे हैं| यही कारण है की युवा पीढ़ी को सदैव कम बोलने, सदाचारी संभाषण देने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है भारत की सांस्कृतिक तथा साहित्यिक विरासत को सत साहित्य और संतुलित भाषा का मनुष्य तथा समाज के विकास के लिए पर्याय माना गया है| इसीलिए संतुलित भाषा मीठी भाषा बोलने से सदैव समाज तथा देश का वातावरण विकास के अनुकूल होता आया है|