कनाडा का फिर बदल रहा है मिजाज?
खालिस्तान प्रेम में डूबे जस्टिन ट्रूडो आखिरकार पटरी पर आ गए हैं
Photo: JustinPJTrudeau FB Page
अशोक भाटिया
मो. 9221232130
हाल फ़िलहाल खालिस्तान प्रेम में डूबे जस्टिन ट्रूडो आखिरकार पटरी पर आ गए हैं्| आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ बयानबाजी करने के मामले में समझ आ गया है कि भारत से पंगा लेना भारी पड़ सकता है| भारत की सख्ती देख अब कनाडाई प्रधानमंत्री के सुर बदल गए हैं और कनाडा की सरकार बैकफुट पर आ गई है| यहां तक कि अब तो उन्होंने अपने ही सुरक्षा अधिकारियों को ’अपराधी’ बताते हुए इस मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश भी की है| दरअसल, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत से जुड़ी एक फर्जी रिपोर्ट के बाद मीडिया में जानकारी लीक करने के मामले में जस्टिन ट्रूडो ने यह बयान दिया है| इस फर्जी रिपोर्ट में निज्जर हत्याकांड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जयशंकर के नाम को घसीटा गया था| इस मामले में अब ट्रूडो ने गलती मानते हुए कहा है, ‘दुर्भाग्य से हमने देखा है कि मीडिया को टॉप-सीक्रेट जानकारी लीक करने वाले अपराधी लगातार गलत खबरें फैलाते रहे हैं्| यही वजह है कि हमने विदेशी दखल पर एक राष्ट्रीय जांच की थी| इस जांच में यह बात सामने आई थी कि मीडिया संस्थानों को जानकारी लीक करने वाले अपराधी न केवल अपराधी होते हैं बल्कि वे अविश्वसनीय भी होते हैं्|’
इसके साथ ही ट्रूडो ने अपने ही खुफिया अधिकारियों को ’अपराधी’ भी बताया| साथ ही कहा कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर मेरा पहला काम कनाडा के लोगों को सुरक्षित रखना है| हमारा जोर इस बात पर रहा है कि कनाडा के लोग यहां और पूरे देश में सुरक्षित रहें और हम कानून का पालन सुनिश्चित करें्| ट्रूडो सरकार ने पीएम मोदी पर ‘अटकलों’ वाली रिपोर्ट को खारिज किया और सफाई दी कि नरेंद्र मोदी, एस जयशंकर और अजीत डोभाल का निज्जर हत्याकांड से न तो कोई कनेक्शन है और न कोई सबूत है| साथ ही यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है| जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह नहीं कहा है और न ही उसे इस बात के सबूतों की जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए डोभाल का कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से कोई संबंध है| इसके विपरीत कोई भी सुझाव अटकलों पर आधारित और गलत है|’
कनाडा के अखबार द ग्लोब एंड मेल ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर को आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े विवाद से जोड़ा था| यही मामला भारत और कनाडा के बीच एक बड़े कूटनीतिक विवाद का केंद्र बना और दोनों देशों के रिश्ते बिगड़े| इस रिपोर्ट में एक अज्ञात सुरक्षा अधिकारी के हवाले से दावा किया गया था कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पीएम मोदी निज्जर की हत्या के बारे में जानते थे| यह पहली बार है जब कनाडा के मीडिया ने पीएम मोदी को इस मामले में घसीटा है, जो पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटना है| रिपोर्ट में इस सूत्र ने स्वीकार किया कि कनाडा के पास कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है कि नरेंद्र मोदी जानते थे| वहीं भारत पहले ही इस मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर चुका था| कनाडा की सरकार ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोवाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले कोई भी सबूत नहीं मिले हैं्| ट्रूडो सरकार का ये स्पष्टीकरण कनाडा के एक अखबार में छपी रिपोर्ट के उस दावे के बाद आया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि निज्जर की हत्या की कथित साजिश भारत के शीर्ष नेताओं ने रची थी| कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आरोप लगाने के बाद अपनी गलती मानी है|
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कनाडा की कई बार किरकिरी हुई जिसके बाद कनाडा को बैकफुट पर आना पड़ा| एक बार तो खुद पीएम ट्रडो को सबूत के सवाल पर जवाब देना भारी पड़ गया था| यह अलग बात है कि कनाडा में खालिस्तानी नेता और एनडीपी सांसद जगमीत सिंह के समर्थन से चल रही सरकार पर पहले काफी दबाव था| लेकिन अब सरकार अल्पमत की है| जगमीत सिंह ने समर्थन वापस ले लिया है| कनाडा ने पिछले महीने उस समय तो हद ही कर दी थी जब यह आरोप लगाया था कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ हिंसा के मामले में शामिल हैं्| कनाडा का आरोप था कि शाह ने कनाडा में सिख अलगाववादियों के खिलाफ हिंसा, डराने धमकाने और इंटेलिजेंस हासिल करने के काम को लेकर निर्देश दिए थे| तब भारत ने कनाडा के उपविदेश मंत्री डेविड मॉरिसन की ओर से की गई टिप्पणियों को बेतुका और निराधार बताया है| विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को लेकर कनाडा सरकार के सामने आधिकारिक तौर पर विरोध दर्ज करवाया था|
भारत ने जवाब में कहा था कि कनाडाई अधिकारी गैर प्रामाणिक दावे इंटरनेशनल मीडिया को देकर ग्लोबल मंच पर भारत की साख को कम करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं्| इसके साथ ही भारत ने कहा कि कनाडा सरकार वहां तैनात भारतीय काउंसलर अधिकारियों का सर्विलांस करवा रही है| इसके अलावा कनाडा की जासूसी एजेंसी कम्युनिकेशन सिक्योरिटी एस्टैब्लिशमेंट (उडए) ने खतरा पैदा करने वाले देशों की सूची में भारत को शामिल कर दिया था| यह पहली बार था जब कनाडा की सरकार की इस लिस्ट में भारत का नाम आया| बता दें कि इस लिस्ट में २०२५-२६ में खतरा पैदा करने वाले देशों के नाम हैं| इसमें भारत को चीन, रूस, ईरान, उत्तर कोरिया के बाद पांचवें नंबर पर रखा गया| इसमें कहा गया कि भारत सरकार आधुनिक साइबर प्रोग्राम तैयार कर रही है, जो कनाडा के लिए कई स्तरों पर खतरा पैदा करते हैं्| भारत ने कनाडा हर मंच और हर मौके पर कड़ा जवाब दिया जिसकी तो कनाडा ने कल्पना तक नहीं की होगी| दीवाली के मौके पर कनाडा में कई जगह हिंदुओं के कार्यक्रम रद्द होने पर भी भारत सरकार ने कनाडा की सरकार को घेरा| साथ ही कनाडा में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों, हिंदु धर्मस्थलों पर हुए हमलों को लेकर पर भी कनाडा की सरकार के सामने आपत्ति जताई्|कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमले के बाद तो पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद निंदा की थी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द पर पोस्ट कर लिखा कि मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले हमले की कड़ी निंदा करता हूं, हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं| हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे| हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं्|
कनाडा को कई बार भारत की ओर किए गए हमलों और जवाब तलब करने की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा जिससे ट्रूडो सरकार की खूब किरकिरी हुई्| हाल ही में दीवाली के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने माना था कि कनाडा में काफी लोग खालिस्तानी समर्थक हैं लेकिन सारे नहीं्| गौरतलब है कि भारत लगातार सालों से कनाडा से इस बात का आग्रह करता रहा है कि वह अपनी धरती पर मौजूद खालिस्थानी समर्थक और उग्रवादियों पर कार्रवाई करे, लेकिन कनाडा ने इससे साफ इनकार कर दिया था| कनाडा ने हमेशा यह कहा है कि खालिस्तान का समर्थन करना लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में आता है और उनकी सरकार इस पर कार्रवाई नहीं कर सकती है| याद दिला दें कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी कार्यक्रम होते रहे हैं्| हद तो तब देखने को मिलती जब कनाडा में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर झांकी बनाई जाती है और भारत के विरोध के बाद भी कनाडा कोई कार्रवाई नहीं करता है|