कमलनाथ ने ली मप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ, भाजपा-अकाली दल ने उठाए सवाल
कमलनाथ ने ली मप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ, भाजपा-अकाली दल ने उठाए सवाल
भोपाल। कमलनाथ ने सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्हें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। कमलनाथ प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री हैं। शपथ ग्रहण समारोह भोपाल के जम्बूरी मैदान में हुआ, जहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा सहित कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के दिग्गज राजनेता मौजूद थे। इससे पहले राजस्थान के जयपुर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। उसके बाद मेहमान भोपाल पहुंचे।
समारोह में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शिरकत की। शपथ ग्रहण से पहले सर्वधर्म प्रार्थना हुई। उसके बाद राष्ट्रगान हुआ और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। कांग्रेस ने राज्य की सत्ता में डेढ़ दशक बाद वापसी की है। कमलनाथ से पहले कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह ने राज्य की कमान संभाली थी।मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को जोरदार बहुमत तो नहीं मिला, लेकिन सहयोगी दलों के साथ वह सत्ता में आ गई। विधानसभा की 230 में से 114 सीटें कांग्रेस को मिलीं, जबकि भाजपा 109 सीटें लाकर इससे कुछ ही पीछे रही। ऐसे में कांग्रेस को बहुमत (116) का आंकड़ा पार करने के लिए बसपा (2), सपा (1) और निर्दलीयों (4) की जरूरत पड़ी, जिसका इनकी ओर से ऐलान किया गया था।
उधर दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। न्यायालय ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराकर उम्रकैद सुना दी है। इस संबंध में अकाली दल सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा, ‘कांग्रेस सिख समाज को यह जवाब दे कि कमलनाथ को कैसे मुख्यमंत्री बना दिया गया, जबकि उनके साथी को सिख दंगा मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा रही है? मैं समझता हूं कि अगर कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया तो उसे सिख समाज का गुस्सा झेलना पड़ेगा।’
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस के फैसले पर सवाल दागे। उन्होंने कहा, ‘यह विडंबना है कि फैसला उस दिन आया है जब सिख समाज जिस दूसरे नेता को दोषी मानता है, कांग्रेस उसे मुख्यमंत्री की शपथ दिला रही है।’ इस पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘अरुण जेटलीजी आपसे यह उम्मीद नहीं थी। कमलनाथजी पर न तो इस प्रकरण में कोई एफआईआर है, न चार्जशीट है और न किसी अदालत में कोई प्रकरण है। 91 से केंद्र में मंत्री रहे तब आपको कोई आपत्ति नहीं थी, अब आपको क्या हो गया?’
फैसला आने के बाद केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि आज सज्जन कुमार पर फैसला आया है, कल जगदीश टाइटलर पर आएगा और आगे कमलनाथ और गांधी परिवार की बारी है। हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा कि उन्होंने 2015 में शिरोमणि अकाली दल के अनुरोध पर एसआईटी का गठन किया।
वित्त मंत्री जेटली ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह 1984 के दंगा मामलों की सच्चाई सामने नहीं आने देना चाहती थी। उन्होंने कहा कि राजग ने दोषियों की जवाबदेही तय की। जेटली ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि दंगा मामले में फैसला भले ही विलंब से आया हो पर न्याय मिलना शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद दिल्ली में भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अनशन शुरू कर दिया है। कमलनाथ को हटाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान जारी है।
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