कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन के लिए ध्रुवीकरण को बताया जिम्मेदार
कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन के लिए ध्रुवीकरण को बताया जिम्मेदार
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। संसदीय चुनाव में अपनी हार से हैरान कांग्रेस ने राज्य में अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की शानदार जीत के लिए वोटों के ध्रुवीकरण और छिपी हुई मोदी लहर को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी यहां की 28 लोकसभा सीटों में से केवल एक सीट जीत पाई, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केई राधाकृष्णन ने कहा, बेरोजगारी और ग्रामीण संकट जैसे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय भाजपा फरवरी में पुलवामा हमले और उसके बाद पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले के बाद देश की सुरक्षा के नाम पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में सफल रही।कांग्रेस ने जनता दल (एस) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में २१ सीटों पर चुनाव ल़डा था, जिसमें से वह मात्र एक सीट जीत सकी। वर्ष 2014 के आम चुनाव में जीती आठ सीटों पर भी पार्टी को हार का सामना करना प़डा। एकमात्र जीती हुई सीट बेंगलूरु ग्रामीण है, जहां डीके सुरेश ने भाजपा के अश्वत्थ नारायण गौ़डा को 2 लाख 6 हजार 870 मतों से हराया।
सुरेश राज्य के जलस संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार के भाई हैं, जो राजनीतिक रूप से प्रभावी वोक्कलिगा समुदाय से आते हैं। उधर, कांग्रेस गठबंधन में शामिल जनता दल (एस) भी खींचतान कर केवल हासन सीट जीत सका, जो पार्टी प्रमुख एचडी देवेगौड़ा का मजबूत गढ़ है। राधाकृष्णन ने कहा, फरवरी मध्य और अप्रैल मध्य के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 रैलियां कीं, जिसमें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए आतंकी हमले और भारत के सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले के बाद सुरक्षा चिंताओं को उठाया। जबकि हम न्यूनतम आय गारंटी योजना-न्याय, रोजगार सृजन, कृषि संकट पर अपना ध्यान केंद्रित करते रहे।
उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी राज्य में मोदी लहर को भांपने में विफल रही क्योंकि राज्य में सतह से बाहर यह लहर कहीं नजर नहीं आई।
धनबल के दुरुपयोग का आरोप
प्रवक्ता ने कहा कि मतदाताओं के ध्रुवीकरण और धनबल ने भाजपा को १७ सीटें अपने पास बरकरार रखने और कांग्रेस व जनता दल (एस) की सीटें भी छीनने में मदद दी। राधाकृष्णन ने कहा, जनता दल (एस) के साथ सीट बंटवारे में हमने भाजपा को सीधी चुनौती देने के लिए संयुक्त प्रत्याशी खड़े किए और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि हमारे वोट त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले के बाद भी बंटे नहीं। लेकिन हमारी चुनावी रणनीति विफल हो गई और दोनों गठबंधन साथियों के बीच मतों का स्थानांतरण नहीं हुआ।
कांग्रेस की हार जद (एस) से बड़ी
कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य है जहां भाजपा ने २००४ से अपनी मजबूत स्थिति बरकरार रखी है। पार्टी ने तब १८ सीट जीती थीं। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, कांग्रेस को इस चुनाव में जनता दल (एस) से ज्यादा बड़ी हार मिली है। संयुक्त उम्मीदवार उतारकर, इसने गठबंधन धर्म निभाने के लिए जीती हुई सीट जैसे टुमकूरु जनता दल (एस) को दे दी।’’ मोदी लहर इतनी ज्यादा थी कि कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपने ग़ढ कलबुर्गी में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।