माता-पिता की सेवा न करने वालों का कटेगा वेतन, असम की भाजपा सरकार लागू करेगी कानून
माता-पिता की सेवा न करने वालों का कटेगा वेतन, असम की भाजपा सरकार लागू करेगी कानून
दिसपुर। आपने ऐसी कई घटनाओं के बारे में पढ़ा या सुना होगा कि माता-पिता ने संतान की परवरिश पर अपनी पूरी कमाई लगा दी, लेकिन बाद में बुढ़ापे में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। पिछले दिनों ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ ने मदनलाल गोटावत की पीड़ा को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जो करोड़ों की संपत्ति कमाने के बावजूद बुढ़ापे में बेघर हो गए।
यहां पढ़ें: करोड़ों की संपत्ति कमाने के बावजूद बेघर हुए 86 वर्षीय मदनलाल गोटावतदेश में ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। असम की भाजपा सरकार इस दिशा में एक कानून लाने जा रही है, जिसके बाद सरकारी कर्मचारियों को अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करनी होगी, अन्यथा उनका वेतन काटा जाएगा। जानकारी के अनुसार, असम सरकार 2 अक्टूबर से यह नया कानून लागू करने जा रही है। सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हो रही है और काफी तादाद में लोगों ने इस पहल का समर्थन किया है।
इस कानून के मुताबिक, जिस सरकारी कर्मचारी पर माता-पिता और अशक्त भाई-बहन का दायित्व है, अगर वह उनकी सेवा नहीं करता है या उन्हें परेशान करता है तो ऐसे कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार को यह अधिकार होगा कि वह उसके वेतन में कटौती करे। उम्मीद की जा रही है कि यह कानून कहीं न कहीं ऐसे बुजुर्गों और अशक्त नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा जो अपनी संतान या भाई-बहन के हाथों उत्पीड़न के शिकार बन रहे हैं।
प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि असम यह कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने बताया कि इसका नाम प्रणाम अधिनियम होगा। मंत्रिमंडल इसमें बताए गए नियमों को हरी झंडी दे चुका है। अब एक प्रणाम आयोग गठित किया जाएगा। महात्मा गांधी की जयंती से यह अधिनियम लागू हो जाएगा।
जो सरकारी कर्मचारी इस अधिनियम के तहत दोषी पाया जाएगा, उसके वेतन से सरकार हर महीने कटौती करेगी। अगर कर्मचारी ने माता-पिता का ख्याल नहीं रखा तो उसके वेतन का 10 प्रतिशत भाग उन्हें दिया जाएगा। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में आएगी। इस प्रकार कोई बिचौलिया उनकी रकम नहीं हड़प सकेगा। शारीरिक रूप से अक्षम भाई-बहनों का ख्याल न रखने पर कर्मचारी के वेतन से 15 प्रतिशत की कटौती होगी। यह राशि भी उनके बैंक खाते में भेज दी जाएगी।
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