कैसे गुलाबी हुआ लोनार झील का पानी? वैज्ञानिक करेंगे रहस्य की पड़ताल

कैसे गुलाबी हुआ लोनार झील का पानी? वैज्ञानिक करेंगे रहस्य की पड़ताल

नागपुर/भाषा। नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के वैज्ञानिकों का एक दल अगले हफ्ते महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में लोनार झील का दौरा करेगा और यह पता लगाने के लिए पानी के नमूने लेगा कि इस झील का पानी गुलाबी रंग का कैसे हो गया।

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अंडाकार लोनार झील करीब 50,000 साल पहले पृथ्वी से एक उल्कापिंड के टकराने से बनी थी। यह मशहूर पर्यटक स्थल है और दुनियाभर के वैज्ञानिक भी यहां आते हैं।

हाल में इस झील के पानी का रंग गुलाबी हो गया है, जिससे न केवल स्थानीय लोग चकित हैं, बल्कि प्रकृति प्रेमी और वैज्ञानिक भी हैरानी में पड़ गए हैं।

कई विशेषज्ञों ने झील के पानी में लवणता और शैवाल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब पानी का रंग बदला है। हालांकि इस बार यह ज्यादा गाढ़े रंग का है।

बुलढाणा की जिलाधिकारी सुमन चंद्रा ने कहा, ‘लोनार झील वन विभाग के क्षेत्राधिकार के तहत आती है क्योंकि इसे एक अभयारण्य घोषित किया गया है। विभाग ने नीरी को पानी के नमूने भेजे हैं। फिर भी संस्थान अध्ययन के लिए नमूने एकत्रित करने के वास्ते 15 जून को घटनास्थल पर वैज्ञानिकों का एक दल भेजेगा।’

उन्होंने कहा, ‘वह रंग में आए इस बदलाव के पीछे की सटीक वजह का पता लगाने के लिए पानी की जांच करेंगे।’ गौरतलब है कि एक ब्रिटिश अधिकारी सीजेई अलेक्जेंडर ने 1823 में एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान के तौर पर लोनार झील की खोज की थी।

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