राजस्थान में इस बार सूनी रहेगी आखातीज, 25,000 से ज्यादा शादियां टलीं
राजस्थान में इस बार सूनी रहेगी आखातीज, 25,000 से ज्यादा शादियां टलीं
जयपुर/भाषा। राजस्थान में आखातीज यानी अक्षय तृतीया शादियों का सबसे बड़ा सावा होता है और इस दिन को विवाह के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है लेकिन इस बार आखातीज सूनी है। राजस्थान में इस बड़े सावे पर होने वाली लगभग 25,000 शादियां टल गई हैं। वजह है- कोरोना वायरस संक्रमण और उसे काबू करने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन।
रविवार को आखातीज के अवसर पर इस बार जो कुछेक शादियां होंगी, वे भी बिलकुल सादे ढंग से होंगी। ‘ऑल इंडिया टेंट डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि जिंदल ने बताया कि राजस्थान में होने वाली 20,000 से 25,000 शादियां कोरोना वायरस और बंद के कारण स्थगित हो गई हैं।उन्होंने कहा कि आखा तीज या अक्षय तृतीया राजस्थान में शादी का सबसे बड़ा सावा होता है। इसे अबूझ सावा मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस बार इस पर कोरोना वायरस और बंद का ग्रहण है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में लगभग 55,000 टेंट हाउस या व्यवसायी हैं और टेंट कारोबार से तीन लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसके अलावा इवेंट मैनेजमेंट, कैटरिंग, लाइट आदि की व्यवस्था करने वाले हजारों लोग हैं।
जिंदल ने बताया कि रविवार को होने वाली शादियां टलने से इस उद्योग को कम से कम 12,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि केवल जयपुर जिले में ही सात हजार से आठ हजार विवाह होने थे, जो टल गए हैं।
एक इंवेंट मैनेजमेंट कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘शादियां टल गई हैं। कुछेक शादियां सादे कार्यक्रम में होंगी जिसके लिए भी प्रशासन से कई तरह की मंजूरियां लेनी पड़ रही हैं। सामाजिक दूरी बनाए रखने और 20 से ज्यादा लोगों के समारोह में शामिल नहीं होने जैसी कई शर्तों का पालन अनिवार्य है।’
वहीं ‘मैरिज गार्डन एसोसिएशन’ राजस्थान के अध्यक्ष मोहन लाल अग्रवाल ने बताया कि जयपुर शहर में रविवार को केवल मैरिज गार्डन (विवाह स्थल) में होने वाली 1,000 शादियां टल गई हैं। उन्होंने बताया कि जयपुर शहर में लगभग 1,000 विवाह स्थल हैं जिनमें होने वाली सारी शादियां टल गई हैं।
उन्होंने कहा, ‘पूरे राजस्थान में लगभग 13,000 मैरिज गार्डन या विवाह स्थल हैं जिनमें 90 प्रतिशत में आखातीज पर शादी की बुकिंग थी। इनमें होने वाली करीब 10 हजार शादियां टल गई हैं। इसके अलावा घरों में, धर्मशालाओं में, सामुदायिक भवनों एवं पार्कों में होने वाली हजारों शादियां भी टल गई हैं।’