संघर्षों की ‛रोशनी’ का बॉलीवुड तक का सफ़र

संघर्षों की ‛रोशनी’ का बॉलीवुड तक का सफ़र

संघर्षों की ‛रोशनी’ का बॉलीवुड तक का सफ़र

लेखिका रोशनी राजाराम

परंपरागत राजस्थानी परिवार में पली-बढ़ी लेखिका, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एक्सपर्ट रोशनी राजाराम ने अपने जीवन की चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए उन सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण पेश किया है, जो परिस्थितियों के आगे हताश हो जाती हैं और मौन रहकर अत्याचार सहन करती रहती हैं।

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इंटरनेशनल पब्लिशर ब्लूम्सबरी से प्रकाशित अपने नए अंग्रेजी उपन्यास ‛द कोल्ड ट्रुथ’ के साथ रोशनी ने विधिवत तरीके से बॉलीवुड में एंट्री की है। उनके उपन्यास के कॉपीराइट्स झामु सुगंध प्रोड्यूसर्स ने एक वेब सीरीज के लिए हासिल किए हैं।

रोशनी राजस्थानी राइटर्स की नई स्ट्रीम का प्रतिनिधित्व करती हैं जो वर्जनाओं को तोड़ते हुए मजबूत तरीके से अपनी बात पाठकों के सामने रखती हैं।

उनका ‛द कोल्ड ट्रुथ’ उपन्यास सच्ची घटनाओं से प्रेरित दस्तावेज है, जो वर्दी में कई सफेदपोश पुरुषों के बारे में सोचने के तरीके को बदल देगा। राजौरी के बर्फीले और सुंदर माहौल के बीच हर पल रंग बदलती ये कहानी एक गुप्तचर अधिकारी के जीवन की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है, जो षड्यंत्रपूर्ण महत्वाकांक्षा और अपराध बोध से ग्रसित है।

कैसे एक अफसर अपनी मर्दानगी, सेना के प्रति उनकी निष्ठा और राष्ट्र के प्रति उनके प्रेम को एक मास्क बनाता है और कैसे एक के बाद एक भरोसे को तोड़ने का काम करता है। कैसे पत्रकार संध्या इंडियन आर्मी की शान बचाने के लिए आर्मी के बहरूपिए अफसर को बेनकाब करने का रिस्क लेती है! कैसे एक बार फिर प्रूव होता है कि इंडियन आर्मी की शान तिरंगे जितनी ऊंची है।

अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हुए रोशनी संघर्ष से जुड़ी दास्तान भी शेयर करती हैं। वे बताती हैं,“बचपन से ही चुनौतियों का जो सिलसिला शुरू हुआ, तब तक जारी रहा जब तक मैंने यह माना कि एक महिला होने के नाते मेरी कुछ सीमाएं हैं। अपने भीतर की आवाज़ को दबाने की आदत को छोड़ना ही वो जादुई ट्रिक थी।

पहली बार मुझे एहसास हुआ कि मेरे बोले और लिखे शब्दों में ताकत है, तो मैंने उनके इर्द-गिर्द ही सारे इनोवेशन करने शुरू किए। मैंने अखबारों के लिए लिखना शुरू किया। कम्युनिकेशन स्किल ट्रेनर के रूप में अपनी पहचान बनानी शुरू की। आज, जब मैं खुद को अपने दम पर आगे बढ़ते हुए, दूसरों की सहायता करते हुए देखती हूं, एक बात दिमाग में जीवन सिद्धांत की तरह जम चुकी है, कलम के ज़रिए हम हर चुनौती का जवाब दे सकते हैं।”

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेल्टा कोर्स की टॉपर, चर्चित ‛टॉक जर्नलिज्म’ के 2019 सत्र की वक्ता और ट्रेनर, रोशनी देश के विभिन्न कोनों में स्त्री अधिकारों के बारे में संवाद के ज़रिए जागरुकता पैदा करने का कार्य भी कर रही हैं।

सफलता की रोशनी हैं ‛रोशनी’
लेखक के तौर ‛द रॉयल ब्लू’, ‛दुर्ग गाथा’, ‛चौथा धंधा’ और ‛द वल्चर्स फीस्ट’ जैसी पुस्तकें लिख जोधपुर में रहने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी अयोध्या प्रसाद गौड़ कहते हैं कि रोशनी राजाराम आज की युवा पीढ़ी की महिला लेखकों की प्रतिनिधि बनकर उभरी हैं। उनका संघर्ष और उससे उपजी सफलता सच में किसी रोशनी से कम नहीं है। उनके जीवन से युवा प्रेरणा लेंगे, ऐसी मेरी सोच है।

प्रस्तुति: मोईनुद्दीन चिश्ती
(देश के वरिष्ठ लेखक- पत्रकार हैं और अपनी सकारात्मक लेखनी के लिए ख़ासे लोकप्रिय हैं)

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