पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार स्थित गांव लाने वाली बेटी के लिए उम्मीद की किरण

पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार स्थित गांव लाने वाली बेटी के लिए उम्मीद की किरण

पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार स्थित गांव लाने वाली बेटी के लिए उम्मीद की किरण

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। गुरुग्राम से बिहार स्थित अपने घर तक बीमार पिता को साइकिल पर ले जाने वाली ज्योति (15) की हिम्मत को जहां सोशल मीडिया पर सराहना मिल रही है, वहीं साइकिल फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने कहा है कि इस साहसी बेटी को ट्रायल के लिए बुलाया गया है।

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बता दें कि ज्योति के चार छोटे भाई-बहन हैं। उनकी मां दरभंगा जिले में बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काम करती हैं। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली ज्योति के पिता मोहन पासवान दिल्ली में ई-रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा चलाते हैं लेकिन एक हादसे में वे घायल हो गए। जब वे मकान किराया नहीं दे सके तो उन्हें घर से चले जाने के लिए कह दिया गया।

इस मुसीबत में ज्योति अपने पिता के लिए सहारा बनकर आईं। उन्होंने साइकिल पर पिता को बैठाकर करीब 1,200 किमी का सफर तय किया और दोनों सकुशल घर पहुंच गए। इस दूरी को तय करने में उन्हें सात दिन लगे। ज्योति जब सिंहवाड़ा ब्लॉक में अपने गांव सिरहुली पहुंचीं तो सबको इस बात पर आश्चर्य हुआ कि इतना लंबा रास्ता उन्होंने साइकिल से तय कर लिया।

अब सीएफआई ने उसे ट्रायल पर बुलाया है तो उम्मीद जताई जा रही है कि ज्योति के जीवन में खुशियों का प्रकाश जगमगाएगा। सीएफआई अध्यक्ष ओंकार सिंह कहते हैं कि ज्योति का ट्रायल किया जाएगा। अगर वे इसे पास कर लेती हैं तो उन्हें आईजीआई स्टेडियम में नेशनल साइकलिंग एकेडमी में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

ओंकार सिंह ने ज्योति की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनमें काफी धैर्य है, चूंकि 1,200 किमी की दूरी साइकिल पर तय करना आसान नहीं होता। ट्रायल के दौरान तय पैरामीटर के तहत यह परीक्षण किया जाता है कि कोई शख्स साइकलिंग के लिए फिट है अथवा नहीं। ज्योति को सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी जा रही हैं कि हिम्मत के साथ परीक्षण में खरी उतरें और देश का नाम रोशन करें।

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