20 साल की उम्र में छोड़ी पढ़ाई, अब 67 की उम्र में हासिल की जैन धर्म में डॉक्टरेट

20 साल की उम्र में छोड़ी पढ़ाई, अब 67 की उम्र में हासिल की जैन धर्म में डॉक्टरेट

20 साल की उम्र में छोड़ी पढ़ाई, अब 67 की उम्र में हासिल की जैन धर्म में डॉक्टरेट

प्रतीकात्मक चित्र। स्रोत: PixaBay

अहमदाबाद/भाषा। जिस उम्र में लोग सेवानिवृत्त हो कर जिंदगी बिताने लगते हैं, उस उम्र में गुजरात की महिला उषा लोदया ने अपना दशकों पुराना सपना पूरा किया और लंबे अंतराल के बाद पढ़ाई करते हुए डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

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उषा (67) ने 20 साल की उम्र में कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी और करीब 60 साल की आयु में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की तथा जैन धर्म में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वडोदरा निवासी उषा ने महाराष्ट्र स्थित शत्रुंजय अकादमी में जैन धर्म के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। यह समुदाय के सदस्यों के बीच जैन धर्म के ज्ञान के प्रसार के लिए स्थापित एक संस्था है।

उषा ने रविवार को डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने के लिए मौखिक परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने कहा, ‘कई दशक पहले, जब मैंने विज्ञान स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था, उस समय से ही डॉक्टर बनने का मेरा सपना था। हालांकि, कम उम्र में ही शादी हो जाने के कारण मुझे 20 साल की उम्र में कॉलेज छोड़ना पड़ा।’

जैन धर्म के विद्वान और अपने गुरु जयदर्शिताश्रीजी महाराज से प्रेरित होकर, उषा ने अपनी आकांक्षा को पूरा करने का प्रयास किया और उन्होंने एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। उन्होंने जैन धर्म में तीन साल का डिग्री पाठ्यक्रम, उसके बाद दो साल का मास्टर्स और फिर तीन साल का डॉक्टरेट पाठ्यक्रम पूरा किया।

दृढ़ निश्चयी उषा ने कहा कि उनकी योजना आगे भी धर्म की खोज जारी रखने और समुदाय के छात्रों को पढ़ाने की है।

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