सिद्दरामैया ने कर्नाटक की भाजपा सरकार को शून्य अंक दिए
सिद्दरामैया ने कर्नाटक की भाजपा सरकार को शून्य अंक दिए
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दरामैया ने 2 नवम्बर को सत्ता में अपने कार्यकाल के सौ दिन पूरे करने जा रही मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को उसके कार्यप्रदर्शन पर शून्य अंक दिये हैं और यह आरोप लगाया है कि इस सरकार के कार्यकाल में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। येडियुरप्पा को कमजोर मुख्यमंत्री बताते हुए नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि अब तक इस सरकार के कार्यकाल की मुख्य उपलब्धियों में तबादलों और अयोग्य विधायकों को रिझाने की कोशिश को ही रखा जा सकता है। इसके अलावा और कोई ऐसा काम नहीं हुआ है जिसे सरकार की उपलब्धि में गिना जा सके। अपने सौ दिन के कार्यकाल में भाजपा सरकार का न तो कोई काम और ना ही उपलब्धि दिखाई देती है जिसे गिना जा सके। अपने अब तक के कामकाज के आधार पर यह सरकार शून्य अंक पाने की ही हकदार है। इसलिए मैं येडियुरप्पा सरकार को शून्य अंक दूँगा। उन्होंने कहा कि इस सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रशासन ने अब तक कोई भी विकास कार्य नहीं किया है। इन्होंने केवल एक कार्य किया है और वह है तबादलों का। इसके अलावा जिन 17 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर यह सरकार बनवाने का काम किया उन्हें लुभाने के लिए उनके विधानसभा क्षेत्रों में अधिकाधिक धनराशि का आवंटन किया है। यही इस सरकार की उपलब्धियॉं हैं्। क्या यही राज्य का समग्र विकास है? यही राज्य सरकार का कामकाज है। इस सरकार द्वारा मनमाने तरीके से तबादले किये जा रहे हैं्। यही इनकी सौ दिन की उपलब्धियॉं हैं्। भाजपा सरकार उलटी चाल चल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष सिद्दरामैया शुक्रवार को यहॉं प्रेस क्लब और रिपोर्टर्स द्वारा भाजपा सरकार के कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। गौरतलब है कि राज्य की पूर्ववर्ती गठबंधन सरकार के गिरने के तीन दिन बाद 26 जुलाई को चौथी बार येडियुरप्पा ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। शनिवार 2 नवम्बर को भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के सौ दिन पूरे करने जा रही है।
कर्नाटक में हाल में आई भीषण बाढ़ की तबाही के बाद बाढ़ राहत कार्य में विफलता के लिए राज्य एवं केन्द्र दोनों में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए सिद्दरामैया ने कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा के 25 उम्मीदवारों को जिताकर लोकसभा में भेजा है। लेकिन पार्टी के 25 सांसदों में से किसी ने भी राज्य को अधिक बाढ़ राहत राशि दिलाने के लिए प्रधानमंत्री से मिलकर बात करना भी जरूरी नहीं समझा। क्या मुख्यमंत्री येडियुरप्पा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री से मिलने गये? नहीं, तो क्यों? यही कारण है कि मैं येडियुरप्पा को राज्य का सबसे कमजोर मुख्यमंत्री कहता हूँ्।उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में अभी भी भाजपा के पास संख्या बल नहीं है, क्योंकि 224 सदस्यों वाले सदन में भाजपा के पास केवल 105 सदस्य ही हैं। विधानसभा में साधारण बहुमत के लिए 113 सदस्य चाहिए और भाजपा के पास 8 सदस्य कम हैं। ऐसे में आगामी 5 दिसम्बर को होने वाले उपचुनाव सरकार का भविष्य तय करेंगे। यही वजह है कि मैं इस सरकार के बारे में यह बात कह रहा हूँ्। इसलिए नहीं कि मेरा मुख्यमंत्री बनने का सपना है। अगर उपचुनाव में भाजपा अधिक सीटें नहीं जीत पाती है तो राज्य का राजनीतिक परिदृश्य क्या होगा? येडियुरप्पा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा और राज्य में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। पूर्ववर्ती कांगे्रस-जनता दल (एस) गठबंधन के 17 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहराया था। लेकिन 17 में से 15 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग द्वारा आगामी 5 दिसम्बर को उपचुनाव कराए जाने की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री येडियुरप्पा के उपचुनाव में सभी 15 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के दावे पर सिद्दरामैया ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसकी उम्मीद हो सकती है, किन्तु जमीनी हकीकत अलग है। नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि उपचुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस कम से कम 12 सीटें जीतेगी। अगर कांग्रेस सभी 15 सीटें जीतती है तो उन्हें इस पर कोई आश्चर्य नहीं होगा। भाजपा के लिए उपचुनाव में कम से कम 6 सीटें जीतना जरूरी है ताकि 224 सदस्यीय विधानसभा में उसका बहुमत बना रहे। इस उपचुनाव के बाद भी विधानसभा में दो सीटें मसकी और आरआर नगर रिक्त रहेंगी।
उनके और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डीके शिवकुमार के बीच मतभेद की खबरों को बकवास बताते हुए सिद्दरामैया ने कहा कि उनके बीच विचारों की भिन्नता हो सकती है किन्तु ऐसा कोई मतभेद नहीं हो जिससे पार्टी के हितों को नुकसान पहुँचे। उन्होंने कहा कि उपचुनावों के लिए पार्टी के आठ उम्मीदवारों की पहली लिस्ट गुरुवार को जारी हो गई है। हर स्तर पर पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर इस सूची को अन्तिम रूप दिया गया है। मिडिल स्कूल की इतिहास की पाठ्य पुस्तक से टीपू सुल्तान के पाठ को हटाने के प्रस्ताव को लेकर उपजे विवाद पर सिद्दरामैया ने कहा कि भाजपा राजनीतिक कारणों से ऐसा कदम उठा रही है, क्योंकि राज्य में उपचुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अतीत में भाजपा नेताओं ने 18वीं सदी के मैसूरु के शासक टीपू सुल्तान की प्रशंसा की है और अब यही लोग पाठ्य पुस्तक से टीपू सुल्तान का पाठ हटाने की मांग कर रहे
हैं।