अप्रवासी भारतीय छात्रों के पेशेवर संस्थानों में दाखिले पर उठा प्रश्न

अप्रवासी भारतीय छात्रों के पेशेवर संस्थानों में दाखिले पर उठा प्रश्न

बंेंगलूरु। भारतीय विदेशी नागरिक (ओसीआई) श्रेणी के विद्यार्थियों को राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिला देने के मुद्दे पर प्रश्न उठाते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एचजी रमेश और न्यायाधीश जॉन माइकल कुन्हा की सदस्यता वाली पीठ ने सौंदर्या और ओसीआई श्रेणी से आने वाले सात अन्य विद्यार्थियों द्वारा मौखिक रुप से इस संबंध में प्रश्न उठाए जाने के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि जब ओसीआई श्रेणी के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की परीक्षा देने की अनुमति है तो फिर राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें राज्य मेंे डेंटल और मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला देने की अनुमति है या नहीं?विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि प़डोसी राज्य केरल और तेलंगाना ने अपने राज्यों के ओसीआई श्रेणी के विद्यार्थियों को मेडिकल और डेंटल तथा अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के संबंध में प्रावधान तैयार कर लिया है। न्यायिक पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान इस बात पर भी गौर किया कि केन्द्र सरकार ने स्वयं ही ओसीआई श्रेणी के विद्यार्थियों को मेडिकल के स्नातकोत्तर और डेंटल पाठ्यक्रमों में दाखिला पाने के लिए ली जाने वाली नीट परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है।इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं द्वारा अदालत को यह भी बताया गया है कि कर्नाटक पेशेवर शैक्षणिक संस्थानों में सरकारी सीटों पर अभ्यर्थियों का चयन अधिनियम २००६ के तहत पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित सीटों पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही दाखिला देने का प्रावधान है और यह भारतीय नागरिक अधिनियम में हुए संसोधन के बिल्कुल विपरीत है जिसमें ओसीआई श्रेणी के नागरिक के रुप में पंजीकृत नागरिकों को अनिवासी भारतीय नागरिकों के समान अधिकार दिए गए हैं।विदेश मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि पंजीकृत ओसीआई नागरिक अखिल भारतीय प्री मेडिकल जांच परीक्षा और या इस प्रकार के अन्य किसी परीक्षा में बैठ सकते हैं और इस प्रावधान के अनुसार वह किसी भी पेशेवेर पाठ्यक्रम में दाखिला पाने के हकदार हैं। ज्ञातव्य है कि जिन लोगों ने यह याचिका दायर की है वह भारतीय नागरिकों के बच्चे हैं लेकिन उनके माता-पिता के विदेश में नौकरी करने के दौरान उनका जन्म विदेश में ही हुआ था।

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न्यायिक पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान इस बात पर भी गौर किया कि केन्द्र सरकार ने स्वयं ही ओसीआई श्रेणी के विद्यार्थियों को मेडिकल के स्नातकोत्तर और डेंटल पाठ्यक्त्रमों में दाखिला पाने के लिए ली जाने वाली नीट परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है।

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