शशिकला ने भाई को भेजा कानूनी नोटिस

शशिकला ने भाई को भेजा कानूनी नोटिस

चेन्नई। अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) से निष्कासित की जा चुकी और मौजूदा समय में बेंगलूरु के परपन्ना अग्रहारम जेल में बद नेता वी के शशिकला ने शुक्रवार को अपने भाई वी दिवाकरण को एक कानूनी नोटिस जारी किया है। शशिकला द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजे गए नोटिस में कहरा गया है कि दिवाकरण किसी विज्ञापन या राजनीतिक उद्देश्य के लिए उनका नाम का इस्तेमाल नहीं करें। दिवाकरण ने दिनाकरण से मतभेद होने के बाद कुछ दिनों पहले ही अपनी नई पार्टी का गठन किया है। इस पार्टी का शुभारंंभ करने के बाद दिवाकरण ने दिनाकरण को सत्ता का भूखा बताया था। इस नोटिस में दिवाकरन को हिदायत दी गई है कि यदि उनके द्वारा भविष्य में किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए शशिकला के नाम या उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाईर् की जाएगी। पिछले कुछ समय से राज्य मेंं इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि शशिकला परिवार में मतभेद पैदा हो चुका है। दिवाकरण द्वारा अपनी नई पार्टी के नाम की घोषणा करने के बाद इसको लेकर तस्वीर कुछ स्पष्ट हुई। हालांकि इस बात को लेकर संशय बरकरार था कि शशिकला दिनाकरण के साथ जाएंगी या दिवाकरण के साथ। शशिकला द्वारा भेजे गए इस नोटिस के बात इस बात को लेकर स्पष्ट हो चुका है कि शशिकला दिनाकरण के साथ है। इस कानूनी नोटिस में शशकिला ने अपने आपको अन्नाद्रमुक का महासचिव बताया है। उन्होंने खुद के जयललिता के साथ करीब ३४ साल तक जु़डे होने की बात भी इस नोटिस में कही है। दिवाकरण को भेजे नोटिस में कहा गया है कि दिवाकरण ने अन्नाद्रमुक के तमाम कामकाज में शशिकला की मदद की है और एक मां, बहन और दोस्त की तरह उनका ध्यान भी रखा है। ऐसे में दिवाकरण को मीडिया के सामने गलत बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरण की नई पार्टी के बारे में शशिकला ने कहा है कि चूंकि अन्नाद्रमुक का झंडा और पार्टी का अधिकार फिलहाल उनके साथ धोखा करने वाले लोगों के हाथ में है इसीलिए इसे वापस मिलने तक दिनाकरण द्वारा एक विकल्प के रूप में अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) नाम की पार्टी बनाई गई है। दिनाकरण लगातार शशिकला के संपर्क में है और शशिकला की अनुपस्थिति में खुद को उनके प्रतिनिधि के रुप में पेश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार दिवाकरण इसी बात से दिनाकरण से नाराज थे कि दिनाकरण ने नई पार्टी में खुद ही महासचिव का पद अपने पास रख लिया और उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया।

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