प्याज, आलू सस्ता होने से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति घटकर 1.22 प्रतिशत पर

प्याज, आलू सस्ता होने से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति घटकर 1.22 प्रतिशत पर

प्याज, आलू सस्ता होने से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति घटकर 1.22 प्रतिशत पर

प्रतीकात्मक चित्र। फोटो स्रोत: PixaBay

नई दिल्ली/भाषा। प्याज और आलू की कीमतें घटने से दिसंबर, 2020 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 1.22 प्रतिशत पर आ गई है। बृहस्पतिवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

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नवंबर, 2020 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मद्रास्फीति 1.55 प्रतिशत पर थी। दिसंबर, 2019 में यह 2.76 प्रतिशत पर थी।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर नवंबर, 2020 में 4.27 प्रतिशत पर थी, जो दिसंबर में घटकर 0.92 प्रतिशत रह गई।

थोक आधार पर दिसंबर में सब्जियों के दाम 13.2 प्रतिशत घट गए। इससे पिछले महीने सब्जियां 12.24 प्रतिशत महंगी हुई थी।

आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में प्याज कीमतों में 54.69 प्रतिशत की गिरावट आई। नंवबर में प्याज 7.58 प्रतिशत सस्ता हुआ था। वहीं दिसंबर में आलू के दाम 37.75 प्रतिशत बढ़े, जबकि नवंबर में आलू 115.12 प्रतिशत महंगा हुआ था।

इसके अलावा दिसंबर में मोटे अनाज, धान, गेहूं और दालों की मुद्रास्फीति भी नवंबर की तुलना में घट गई। हालांकि, दिसंबर में फलों के थोक दाम नवंबर से अधिक थे।

समीक्षाधीन महीने में जहां खाद्य वस्तुओं की महंगाई घटी वहीं विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 4.24 प्रतिशत हो गई। नवंबर में यह 2.97 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों में खाद्य उत्पादन, बेवरेज, कपड़ा, रसायन, फार्मास्युटिकल्स और सीमेंट आते हैं।

दिसंबर में ईंधन और बिजली खंड की थोक महंगाई में मामूली वृद्धि हुई। उल्लेखनीय है कि दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति भी घटकर 4.59 प्रतिशत पर आ गई है। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है।

थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम नीचे आने और प्राथमिक गैर-खाद्य उत्पादों की महंगाई घटने से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति नीचे आई है। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत के 24 माह के उच्चस्तर पर है। इससे आगे चलकर थोक मुद्रास्फीति को लेकर चिंता पैदा होती है।’

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