जीवनशैली और स्वास्थ्य
हमारे ऋषियों के प्राचीन जीवन विज्ञान का प्रचार-प्रसार होना चाहिए
दफ्तरों में युवाओं को फास्टफूड के बजाय सात्विक एवं ऋतु के अनुकूल आहार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए
हमारी जीवनशैली में आ रहे कई बदलावों का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चूंकि दफ्तरों में कामकाज के तरीके कुछ ऐसे हैं कि व्यक्ति को दिनभर बैठे रहना पड़ता है। इससे नौजवानों में भी ऐसे रोग देखे जा रहे हैं, जो कुछ दशक पहले तक प्राय: बुजुर्गों में देखने को मिलते थे। ऐसे में एक वैज्ञानिक शोध का उल्लेख करना बेहद ज़रूरी है, जिसका संबंध जीवनशैली में आ रहे बदलावों और स्वास्थ्य से है।
इस शोध का यह कहना प्रासंगिक है कि बैठे रहने के नकारात्मक असर को कम करने के लिए हर आधे घंटे पर पांच मिनट तक हल्का टहलना चाहिए। जर्नल मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज में प्रकाशित इस शोध के निष्कर्ष हमारे आयुर्वेद के सिद्धांतों पर ही मोहर लगाते प्रतीत होते हैं, जिसमें ऋतुचर्या और दिनचर्या में एक-एक बिंदु का इस तरह वर्णन किया गया है कि मनुष्य स्वस्थ जीवन जी सकता है।इस शोध की प्रक्रिया बहुत जटिल नहीं है। इसके लिए 11 स्वस्थ अधेड़ उम्र के और उम्रदराज वयस्कों को काम करने के आदर्श समय आठ घंटे तक अपनी प्रयोगशाला में पांच दिन बैठने को कहा गया। पहले दिन प्रतिभागी पूरे आठ घंटे तक बैठे रहे और केवल लघुशंका के लिए ही विराम लिया। बाकी दिनों में उनके लगातार बैठने की परिपाटी को तोड़ने और हल्का टहलने के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई गई।
इसे कुछ यूं समझ सकते हैं कि एक दिन प्रतिभागियों को हर आधे घंटे पर एक मिनट टहलने को कहा गया, जबकि अन्य दिन उन्हें हर घंटे पांच मिनट टहलने को कहा गया। शोध का उद्देश्य इस बात का पता लगाना था कि न्यूनतम कितना टहलने से बैठे रहकर काम करने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस दौरान खून में शर्करा का स्तर और रक्तचाप मापा गया।
शोध में पाया गया कि प्रत्येक आधे घंटे में पांच मिनट हल्का टहलना ही एकमात्र रणनीति है, जिससे दिनभर बैठकर काम करने के मुकाबले रक्तचाप और खून में शर्करा की मात्रा को कम किया जा सकता है। विशेष रूप से प्रत्येक आधे घंटे पर पांच मिनट टहलने से खाने के बाद रक्त शर्करा में होने वाली वृद्धि में 60 प्रतिशत तक कमी आई।
यही नहीं, इस रणनीति से दिनभर बैठे रहने के मुकाबले रक्तचाप में भी चार से पांच अंक की कमी देखी गई। प्रत्येक एक घंटे पर एक मिनट टहलने से भी रक्तचाप में पांच अंकों की कमी देखी गई। नियमित अंतराल पर टहलने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर देखा गया। दिनभर बैठकर काम करने के मुकाबले प्रत्येक आधे घंटे पर पांच मिनट टहलने से प्रतिभागी कम थकान महसूस कर रहे थे और उनका मिज़ाज बेहतर था। इससे उन्हें अधिक ऊर्जावान बने रहने में मदद मिली।
शोध कहता है कि हर एक घंटे में थोड़ा-सा टहलने से भी मिज़ाज बेहतर रहता है और थकान कम महसूस होती है। आज दफ्तरों में कर्मचारी लंबे समय तक लगातार बैठे रहकर काम करते हैं। शुरुआत में तो शरीर इस पर अधिक प्रतिक्रिया नहीं करता, लेकिन एक समय आता है, जब विभिन्न प्रकार के रोग पैदा होने लगते हैं।
इन दिनों युवाओं में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव, हृदय रोग, कमर दर्द, कमजोर नेत्रज्योति, कमजोर पाचन क्षमता, जोड़ों का दर्द जैसी कई समस्याएं देखी जा रही हैं। दफ्तरों को इस ओर ध्यान देना चाहिए और उन्हें अपने नियम मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बदलने भी चाहिएं। आयुर्वेद में भोजन के तुरंत बाद लेटने या श्रम करने का निषेध है। इसमें हल्के कदमों से कुछ समय तक टहलने के लाभ बताए गए हैं।
आज जरूरत इस बात की है कि हमारे ऋषियों के प्राचीन जीवन विज्ञान का प्रचार-प्रसार होना चाहिए। दफ्तरों में युवाओं को फास्टफूड के बजाय सात्विक एवं ऋतु के अनुकूल आहार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। यह संदेश दफ्तरों तक सीमित न रहे, बल्कि घरों तक जाए। जब देशवासी स्वस्थ होंगे, तो ही देश स्वस्थ होगा और हर मुश्किल का मजबूती से मुकाबला कर सकेगा।