शराब के नशे में खोता जा रहा है युवा वर्ग
नशे के बढ़ते चलन के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं
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बाल मुकुन्द ओझा
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शराब को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं| इस संबंध में संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि शराब की वजह से हर साल करीब ३० लाख लोगों की मौत होती है| उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मृत्यु दर में थोड़ी कमी आई है| इस नए रिपोर्ट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि आंकड़ें भले ही कम हो रहे हों लेकिन यह अभी भी ’अस्वीकार्य रूप से उच्च’ बनी हुई है| शराब और स्वास्थ्य पर पेश इस नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब से सेवन से हर साल दुनिया भर में २० में से लगभग एक मौत शराब पीने के कारण होती है| शराब पी के गाड़ी चलाने, शराब के कारण होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार और कई तरह की बीमारियों और विकारों के कारण यह मौत होती है| शराब का नशा कम समय में बहुत अधिक शराब पीने से जुड़ी एक स्थिति है| इसे शराब पॉयसन भी कहा जाता है| शराब का नशा गंभीर है यह आपके शरीर के तापमान, श्वास, हृदय गति और गैग रिफ्लेक्स को प्रभावित करता है| यह कभी-कभी कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है| शराब का नशा कम समय में जल्दी हो सकता है| जब कोई व्यक्ति शराब का सेवन कर रहा होता है, तो अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकता हैं| ये लक्षण नशे के विभिन्न स्तरों, या चरणों से जुड़े होते हैं|
एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार भारत में पांच में से एक शख्स शराब पीता है| सर्वे के अनुसार १९ प्रतिशत लोगों को शराब की लत है| जबकि २.९ करोड़ लोगों की तुलना में १०-७५ उम्र के २.७ प्रतिशत लोगों को हर रोज ज्यादा नहीं तो कम से कम एक पेग जरूर चाहिए होता है और ये शराब के लती होते हैं| सर्वेक्षण के अनुसार देशभर में १० से ७५ साल की आयु वर्ग के १४.६ प्रतिशत यानी करीब १६ करोड़ लोग शराब पीते हैं| छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में शराब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है| इस सर्वे की चौंकाने वाली बात यह है कि देश में १० साल के बच्चे भी नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों में शामिल हैं| एक अन्य सर्वे के मुताबिक भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग ३७ प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं| इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है| जिन परिवारों के पास रोटी-कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह-शाम के खाने के लाले पड़े हुए हैं उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर फूंक डालते हैं| इन लोगों को अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चे भूख से तड़फ रहे हैं|