नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे अधिकारी को वीआरएस के तुरंत बाद कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला
वीके पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को 23 अक्टूबर को मंजूरी मिली थी
मुख्यमंत्री पटनायक के बेहद करीबी माने जाते हैं पांडियन
भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे आईएएस अधिकारी वीके पांडियन को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के तुरंत बाद मंगलवार को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। उन्होंने एक दिन पहले सेवानिवृत्ति ली थी।
एएनआई के एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट किए गए ओडिशा सरकार सरकार के आदेश के अनुसार, आईएएस अधिकारी वीके पांडियन को ओडिशा सरकार द्वारा कैबिनेट मंत्री के पद पर 5टी (परिवर्तनकारी पहल) और नबीन ओडिशा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। वे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में कार्यरत थे। उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को 23 अक्टूबर को मंजूरी दे दी गई थी। अब वे सीधे मुख्यमंत्री के अंडर काम करेंगे।केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने ओडिशा सरकार के प्रशासनिक विभाग को लिखे एक पत्र में कहा कि पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित नोटिस अवधि की छूट के साथ स्वीकार किया गया है।
IAS officer VK Pandian appointed as Chairman 5T (Transformational Initiatives) and Nabin Odisha in the rank of Cabinet Minister by the Government of Odisha.
— ANI (@ANI) October 24, 2023
He was serving as private secretary to Odisha Chief Minister Naveen Patnaik and his voluntary retirement was approved by… pic.twitter.com/fY1Kdc39n1
लगाए जा रहे थे कयास
हालांकि इससे पहले ही सोशल मीडिया पर कयास लगाए जाने लगे थे कि वे बीजू जनता दल (बीजद) में शामिल हो सकते हैं और उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देजर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
बता दें कि वीके पांडियन उन अधिकारियों में से हैं, जो मुख्यमंत्री पटनायक के बेहद करीबी माने जाते हैं। हालांकि विपक्ष द्वारा उन पर 'पद के दुरुपयोग' के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं। साल 2000 बैच के आईएएस अधिकारी रहे पांडियन मूलत: तमिलनाडु से हैं। उन्हें पंजाब कैडर मिला था, लेकिन आईएएस अधिकारी से शादी होने के बाद ओडिशा कैडर ले लिया था।
कालाहांडी से सीएमओ ...
पांडियन साल 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के ‘सब-कलेक्टर’ नियुक्त हुए थे। उसके बाद साल 2005 में मयूरभंज के कलेक्टर बने थे। उन्हें साल 2007 में गंजम का कलेक्टर बनाया गया था, जो पटनायक का गृह जिला है। माना जाता है कि इसी दौरान वे मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारियों में शामिल हो गए थे।
इसके बाद पांडियन को साल 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में नियुक्त किया गया। वे उस साल से मुख्यमंत्री के निजी सचिव के तौर पर सेवाएं दे रहे थे।
सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय
पांडियन सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। जब पटनायक साल 2019 में ओडिशा के पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने तो उन्हें '5टी सचिव' का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया था। उसके बाद पांडियन ने राज्य के कई इलाकों का दौरा किया। उन्होंने दर्जनों बैठकें कर जनता से शिकायतें सुनी थीं। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने उन पर तंज कसते हुए बीजद में शामिल होने की सलाह दे दी थी।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल सकते हैं!
उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को तुरंत मंजूरी मिलने को लेकर रायगढ़ से कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उल्का ने तो यह भी दावा किया है कि पांडियन अगले चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल सकते हैं!
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, 'आश्चर्य नहीं होगा अगर पांडियन अगले आम चुनाव से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे - ओडिशा में सत्ता संरचना ऐसी है, किसी को पता नहीं है कि क्या हो रहा है, लेकिन हर कोई जानता है कि कौन नियंत्रित कर रहा है। छुट्टियों के दौरान तीन दिनों में वीआरएस स्वीकृत - सुपर फास्ट।'