सकारात्मक प्रतिक्रिया
जब किसी को लोन की जरूरत होती है तो वह उस माध्यम को तरजीह देता है, जिससे उसे जल्द रुपए मिल जाएं
इन ऐप्स को इंस्टॉल कर लोन लेना जितना आसान था, इनके शिकंजे से निकलना उतना ही मुश्किल भी था
केंद्र सरकार ने अवैध बेटिंग और लोन ऐप्स पर शिकंजा कसने की कोशिश कर प्रशंसनीय कार्य किया है। हालांकि यह लड़ाई लंबी है। भविष्य में कुछ और सख्त कदम उठाने की जरूरत होगी। सोशल मीडिया पर ऐसे ऐप्स के प्रचार-प्रसार पर पाबंदी लगाने की काफी समय से मांग हो रही थी, जिस पर सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। अब ऐसे ऐप्स का संचालन करने वाली कंपनियां अन्य रास्तों का रुख कर सकती हैं, जिन पर नजर रखते हुए कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।
सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देकर मजबूत कदम उठाया है कि वे अपने मंच पर कर्ज देने संबंधी धोखाधड़ी वाले ऐप के विज्ञापन न लगाएं। प्राय: सोशल मीडिया कंपनियां अपने मुनाफे के लिए नियमों की अनदेखी कर जाती हैं। इन ऐप्स के लिए सोशल मीडिया ऐसा मंच बनकर उभरा था, जो इन्हें आसानी से लोगों तक पहुंचा देता है।कोरोना काल में इनका तेजी से विस्तार हुआ, क्योंकि लोग सोशल मीडिया पर काफी समय बिता रहे थे और रोजगार बंद पड़े थे। उस दौरान बहुत लोग 'आसान लोन' के चक्कर में आ गए। इन ऐप्स को इंस्टॉल कर लोन लेना जितना आसान था, इनके शिकंजे से निकलना उतना ही मुश्किल भी था। उनमें से कुछ लोगों ने तो आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठा लिया था।
वहीं, कई लोगों ने यह कहते हुए पुलिस की शरण ली कि उन्होंने पूरी रकम चुका दी, लेकिन कंपनी के एजेंट उन्हें और राशि चुकाने के लिए धमकी दे रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी दावा किया कि उन्हें अपमानित करने के लिए ऐप कंपनियों की ओर से नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
चूंकि उन्होंने ऐप इंस्टॉल करते समय कंपनी की शर्तें मानने की सहमति दी थी, जिसके बाद उस ऐप ने उनकी फोटो गैलरी में मौजूद तस्वीरें कॉपी कर लीं। यही नहीं, उनके रिश्तेदारों के फोन नंबर भी ऐप के पास चले गए।
कुछ मामले ऐसे भी आए, जिनमें पीड़ितों ने आरोप लगाया था कि ऐप कंपनी ने उनकी तस्वीरें मोबाइल से कॉपी करने के बाद उन्हें एडिट कर आपत्तिजनक रूप दे दिया। इसके बाद कंपनी के एजेंट उन्हें वे तस्वीरें भेजकर धमकी देने लगे कि रुपए भेजिए, अन्यथा आपकी यह तस्वीर रिश्तेदारों और दोस्तों को भेजकर बदनाम कर देंगे।
आमतौर पर जब किसी को लोन की जरूरत होती है तो वह उस माध्यम को तरजीह देता है, जिससे उसे जल्द और आसानी से रुपए मिल जाएं। जब वह देखता है कि कोई ऐप उसे घर बैठे, महज कुछ क्लिक के बाद लोन उपलब्ध करवा रहा है तो वह उस पर विश्वास कर लेता है। देश में बैंक भी लोन देते हैं, जो आरबीआई द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए संबंधित व्यक्ति की कमाई के स्रोतों एवं कई दस्तावेजों की जांच करते हैं। उनकी ब्याज दरें आरबीआई की निगरानी में होती हैं।
निश्चित रूप से इस प्रणाली में कुछ समय लगता है। दूसरी ओर, इंटरनेट पर तेजी से पनपे कई ऐप बेहद आसानी से लोन दे देते हैं, लेकिन उनकी वसूली बहुत कठोरतापूर्ण होती है। इनमें मनमानी ब्याज दरें बड़ी समस्या हैं। कई लोग पूरा लोन चुका देते हैं। इसके बावजूद कंपनी के एजेंट कोई न कोई कमी निकालकर कह देते हैं कि अभी रकम बकाया चल रही है। उसे चुकाने के बाद कोई और रकम बकाया निकल आती है।
इस चक्रव्यूह में फंसकर आम इन्सान खुद को बेबस पाता है। सरकार को चाहिए कि ऐसे तमाम ऐप्स पर खूब सख्ती करे। किसी भी ऐप को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह मनमानी शर्तें थोपकर लोगों का शोषण करे।