हिंसा का चक्र कब तक?

चौतरफा निंदा का पात्र बना तृणमूल कांग्रेस का नेता शाहजहां शेख 55 दिनों से 'फरार' रहने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आया है

हिंसा का चक्र कब तक?

अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संदेशखालि के पीड़ितों को इन्साफ दिलाकर अंधकार को दूर करे।

आम आदमी की मामूली-सी ग़लती पर उसे पकड़ने में भरपूर तेजी दिखाने वाली पुलिस को 'प्रभावशाली' और 'रसूखदार' लोगों तक पहुंचने में वक्त लग ही जाता है। पश्चिम बंगाल में इसकी अवधि कुछ ज्यादा ही लंबी हो जाती है। संदेशखालि मामले से चौतरफा निंदा का पात्र बना तृणमूल कांग्रेस का नेता शाहजहां शेख 55 दिनों से 'फरार' रहने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आया है! उसे बशीरहाट अदालत ने 10 दिन की पुलिस हिरासत में भी भेज दिया। शाहजहां पर लगे आरोपों की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी कहा कि उसके लिए कोई सहानुभूति नहीं है। आश्चर्य होता है कि इस शख्स तक पहुंचने में पुलिस को लगभग दो महीने लग गए! वह भी इतने गंभीर आरोपों के बावजूद! इस दौरान यह अपनी जगह बदलता रहा और पूरे सिस्टम का मजाक उड़ाता रहा। जब स्थानीय लोगों को पता चला कि शाहजहां शेख को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है तो उन्होंने सड़कों पर उतरकर खुशियां मनाईं, मिठाइयां बांटीं और नृत्य किया। ऐसा लग रहा था कि उन्हें किसी भारी विपत्ति से मुक्ति मिली है। पश्चिम बंगाल में यह क्या हो रहा है? स्वयं राज्यपाल कह रहे हैं कि 'हमें बंगाल में हिंसा के चक्र को समाप्त करना होगा। बंगाल के कुछ हिस्सों में गुंडे राज कर रहे हैं। यह खत्म होना चाहिए और गैंगस्टर को सलाखों के पीछे डाला जाना चाहिए।' सवाल है- अपराधियों को सलाखों के पीछे कौन डालेगा? ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार के पास शक्ति नहीं है। अगर वह दृढ़ इच्छाशक्ति दिखा दे तो अपराधियों के छुपने के लिए धरती छोटी पड़ जाएगी, लेकिन वोटबैंक और तुष्टीकरण की राजनीति जो करवा दे, कम है!

Dakshin Bharat at Google News
शाहजहां तो खुद तृणमूल कांग्रेस का नेता था। उसकी गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद उसे तृणमूल से छह साल के लिए निलंबित किया गया। क्या इस पार्टी को शाहजहां के कारनामे पहले दिखाई नहीं देते थे? जिस शख्स पर कई महिलाओं के शोषण, जमीन हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगे हों, जिसके खिलाफ स्थानीय लोग, खासकर महिलाएं कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हों, उसे तो बहुत पहले ही पार्टी से निकाल बाहर करना चाहिए था। पुलिस को उसे चौबीस घंटे के अंदर गिरफ्तार करने का आदेश दे देना चाहिए था। इससे साफ संदेश जाता कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज है, वहां तृणमूल सरकार किसी को भी जुल्म-ज्यादती करने की छूट नहीं देगी। लेकिन हुआ इसका उल्टा! शाहजहां शेख को उत्तर 24 परगना जिले के सुंदरवन के बाहरी इलाके में जिस घर से गिरफ्तार किया गया, उसकी दूरी संदेशखालि से सिर्फ 30 किमी है। उसका पता मोबाइल फोन की 'अवस्थिति' से लगाया गया। कहा गया कि वह समय-समय पर अपनी जगह बदल रहा था। दूसरी ओर, संदेशखालि के कुछ हिस्सों में अतिरिक्त बल भी तैनात था। वहां के 49 क्षेत्रों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाई गई थी। अगर थोड़ा-सा अतिरिक्त बल शाहजहां शेख के 'पीछे' लगा दिया जाता तो उसे बहुत पहले गिरफ्तार किया जा सकता था। भले ही वह बार-बार अपनी जगह बदल रहा था और मोबाइल फोन बंद कर कुछ समय के लिए चकमा देने की कोशिश करता, लेकिन प. बंगाल समेत भारत के हर राज्य की पुलिस इतनी सक्षम है कि अगर वह ठान ले तो आरोपी को पाताल से भी ढूंढ़कर ला सकती है। प. बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस इसे 'एक अंत की शुरुआत' करार देते हुए कह रहे हैं कि 'अंधकार के बाद उजाला जरूर होता है।' अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संदेशखालि के पीड़ितों को इन्साफ दिलाकर अंधकार को दूर करे।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download