रूस: बर्फीली धरती पर कैसे पहुंचा योग का प्रकाश?
रूस में नब्बे के दशक से योग का तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ
Photo: IndEmbMoscow FB page
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। दुनिया के कई देशों में योग के लोकप्रिय होने के बाद जहां लोगों ने इसे अपनाने में रुचि दिखाई, वहीं कुछ देशों में इसे रोकने की कोशिशें भी हुईं। हालांकि उनके ये प्रयास सफल नहीं हुए। देर-सबेर योग का प्रकाश वहां पहुंच ही गया।
रूस में योग का इतिहास कुछ ऐसा ही है। वहां साल 1910 के दशक से अभिनेता कॉन्स्टेंटिन स्टैनिस्लावस्की ने साथी अभिनेताओं को प्रशिक्षित करने के लिए इसका प्रदर्शन करना शुरू किया था। हालांकि इसकी शुरुआत तब से मानी जाती है, जब कैथरीन द ग्रेट ने 1788 में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद प्रकाशित कराया था।सोवियत संघ में योग पर प्रतिबंध लगाया गया था, क्योंकि इसके पीछे यह ग़लतफ़हमी थी कि इससे लोगों का झुकाव किसी खास विचारधारा की ओर हो जाएगा। वहीं, विदेशों में रहने वाले रूसी, जो योगाभ्यास करते हुए इसके फायदे महसूस कर चुके थे, ने साल 1920 से प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया था।
इनमें इंद्रा देवी का नाम बहुत आदर से लिया जाता है, जिन्होंने रूसी क्रांति के दौरान रूस छोड़ दिया और भारत में तिरुमलाई कृष्णमाचार्य से योग सीखा और इसे अमेरिका में लोकप्रिय बनाया था।
रूस में नब्बे के दशक से योग का तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ। इस दौरान योगाभ्यास के बड़े-बड़े स्टूडियो खुले, जिनमें सैकड़ों-हजारों की तादाद में रूसी लोग योग करने लगे। समय के साथ भारत और रूस के संबंध मधुर होने से रूसियों को योग के बारे में जानने के खूब अवसर मिले। अब तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रूस के कई शहरों में लोग योगाभ्यास करते हैं।
हालांकि इसके बावजूद रूस में एक वर्ग ऐसा है, जो योग को कुछ संदेह की दृष्टि से देखता है और समय-समय पर इसके खिलाफ बयान देता रहता है, लेकिन आमजन में योग की स्वीकृति बढ़ रही है।
Sharing some beautiful moments from #IDY2024 event held at Oryol today. We thank Oryol administration for coming together with JNCC,EoI,Moscow to organise Yoga and meditation sessions.#yogaforselfandsociety @moayush @mpprataprao@IndianDiplomacy @vkumar1969 @ktuhinv @iccr_hq https://t.co/kin8JpOzSR pic.twitter.com/dbkjoN0HTa
— ICCR in Russia (@iccr_moscow) June 17, 2024
मास्को में स्थित भारतीय दूतावास द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रूसी लोग योग के अनुशासन को अपने जीवन की स्थिति और शैली के अनुरूप ढाल रहे हैं। कुछ लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि रूस ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के लिए भारत द्वारा शुरू किए गए संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने का निर्णय लिया था।
रूस में योग के सबसे प्रसिद्ध अभ्यासी (पूर्व) प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव हैं, जिनके राष्ट्रपति रहते योग ने इस देश में अपार लोकप्रियता हासिल की। यहां 21 जून को देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सबसे बड़ा आयोजन मास्को के ऐतिहासिक सोकोलनिकी पार्क में होता है, जिसमें योगाभ्यास के लिए हजारों लोग आते हैं।
रूस के अन्य शहरों में भी इस दिन को उत्साह के साथ मनाया जाता है। व्लादिवोस्तोक में एक हज़ार से ज़्यादा लोग योगाभ्यास करते हैं। साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में योग प्रदर्शन के लिए पार्कों में विशेष क्षेत्र बनाए जाते हैं।