टेलीकॉम: विविधता को मजबूत रखें
भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में जो कीर्तिमान रचे हैं, उनमें निजी टेलीकॉम कंपनियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है
21वीं सदी के आगाज के साथ भारत के टेलीकॉम बाजार में जो उछाल आया, उसका श्रेय बीएसएनएल को देना होगा
निजी टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अपनी सेवाओं के शुल्क में बढ़ोतरी किए जाने के बाद आम ग्राहक की जेब पर काफी असर पड़ेगा। आज हर परिवार में दो से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन होना आम बात है। अगर उन सबमें निजी कंपनियों के सिम कार्ड हैं तो साधारण आर्थिक पृष्ठभूमि वाले ग्राहकों के लिए रिचार्ज करवाना मुश्किल होगा। पढ़ाई से लेकर ख़रीदारी और पानी, बिजली, गैस आदि के बिल जमा कराने तक, सब में इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले एक दशक से भी कम समय में भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में जो कीर्तिमान रचे हैं, उनमें निजी टेलीकॉम कंपनियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि 21वीं सदी के आगाज के साथ भारत के टेलीकॉम बाजार में जो उछाल आया, उसका श्रेय बीएसएनएल को देना होगा। अपने 'अच्छे दिनों' में इसने सरकार के खजाने में बड़ा योगदान दिया, लेकिन उसके बाद बढ़ता घाटा एक बड़ी चुनौती बन गया। टेलीकॉम कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, ताकि आम ग्राहकों को उनके बजट के अनुसार बेहतर सुविधाएं मिलें। जब हम पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात करते हैं तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे अर्थचक्र को टेलीकॉम कंपनियां भी ऊर्जा देंगी। बाजार में विविधता हो, ग्राहकों के पास अधिक विकल्प हों, उनके हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा हो, इसके लिए बहुत जरूरी है कि निजी टेलीकॉम कंपनियों के साथ ही बीएसएनएल का भी विस्तार हो। आज एक आम ग्राहक टेलीकॉम कंपनी से क्या चाहता है? यही कि सेवाओं का शुल्क उसके बजट में हो, इंटरनेट की रफ्तार अच्छी हो, जब कभी कोई समस्या आए तो उसका समय पर उचित समाधान हो।
अगर पिछले दो दशकों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि यह अवधि टेलीकॉम बाज़ार के लिए कई उपलब्धियों के बावजूद उथल-पुथल भरी रही है। इस दौरान कोई शून्य से शिखर तक पहुंचा, तो कोई अर्श से फर्श पर आ गया। जहां कभी ग्राहकों की लंबी कतारें लगा करती थीं, वहां की रौनक गायब हो गई। यह रिकॉर्ड बताता है कि जरूरी नहीं कि जो कंपनी आज बुलंदियों पर है, वह आगे भी अपनी बढ़त और मुनाफा बरकरार रख पाए। ऐसे में समय के साथ तकनीकी बदलाव करते हुए सुधारों का रास्ता अपनाना अनिवार्य है। आज काफी लोग बीएसएनएल में सिम पोर्ट करवा रहे हैं तो उसे चाहिए कि वह अतीत के अनुभवों से सीखते हुए भविष्य की संभावनाओं के लिए खुद को तैयार करे। बीएसएनएल के पास इस क्षेत्र का समृद्ध अनुभव है, दूर-दराज के इलाकों में नेटवर्क है। अगर वह कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सुधारों पर जोर दे तो कमाल कर सकता है। आज जिन लोगों के मन में बीएसएनएल को लेकर अचानक 'लगाव' पैदा हुआ है, उसके पीछे सबसे बड़ी वजह निजी कंपनियों द्वारा शुल्क में बढ़ोतरी करना है। अगर सोशल मीडिया पर पुरानी पोस्ट्स में बीएसएनएल के ग्राहकों की टिप्पणियां पढ़ेंगे तो उनमें ऐसी कई समस्याओं का जिक्र पाएंगे, जिनका अब तुरंत समाधान करना जरूरी है। ग्राहक के लिए शुल्क एक वजह हो सकती है, लेकिन उसके साथ नेटवर्क और संतुष्टि जैसे बिंदु भी बहुत मायने रखते हैं। अगर कोई ग्राहक मोबाइल फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है तो उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी कि रफ्तार अच्छी हो। अगर बीच-बीच में व्यवधान आएगा तो एक समय बाद ग्राहक का मोहभंग हो जाएगा। बीएसएनएल को नए-नए ऑफ़र लाकर अपना विस्तार करना चाहिए। उसके साथ कार्यशैली में फुर्ती लानी चाहिए। आज का युवा बिल्कुल नहीं चाहेगा कि वह हाथ में प्रार्थनापत्र लेकर दफ्तरों के चक्कर लगाए। उस पर पढ़ाई का इतना दबाव है कि एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक दौड़ लगाने के लिए न तो समय है और न ही इतना धैर्य है! वह जल्द नतीजे चाहता है। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना जरूरी है। सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि करनी होगी। बाज़ार में मजबूती से खड़े होने के लिए ग्राहक तक पहुंचने की पहल करते हुए उचित शुल्क के साथ मांग को पूरा करना होगा। बीएसएनएल के पास अनुभव खूब है, अब उत्साह के साथ नई उड़ान के लिए तैयारी करनी चाहिए।