उच्चतम न्यायालय ने उप्र मदरसा कानून की वैधता बरकरार रखी

कहा- यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता

उच्चतम न्यायालय ने उप्र मदरसा कानून की वैधता बरकरार रखी

Photo: PixaBay

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उत्तर प्रदेश के मदरसों को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को साल 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। 

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इस तरह उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें इस आधार पर इसे रद्द कर दिया गया था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'हमने उत्तर प्रदेश मदरसा कानून की वैधता को बरकरार रखा है और इसके अलावा किसी कानून को तभी रद्द किया जा सकता है, जब राज्य में विधायी क्षमता का अभाव हो।'

यह आदेश उत्तर प्रदेश के मदरसा शिक्षकों और छात्रों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने मदरसों को बंद करने और छात्रों को राज्य के अन्य स्कूलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कानून की विधायी योजना मदरसों में निर्धारित शिक्षा के स्तर को मानकीकृत करना है। शीर्ष न्यायालय ने 22 अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले लगभग दो दिनों तक अंजुम कादरी सहित आठ याचिकाकर्ताओं के वकीलों के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनीं।

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