गुड़ खाकर गुलगुलों से परहेज

पश्चिम को भारत का विशेष आभार मानना चाहिए

गुड़ खाकर गुलगुलों से परहेज

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार मोदी की तारीफ कर चुके हैं

'गुड़ खाकर गुलगुलों से परहेज़' कैसे किया जाता है, यह पश्चिमी देशों के तेल आयात संबंधी बिल को देखकर समझा जा सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने मॉस्को पर प्रतिबंधों के तहत उससे ईंधन लेने से तो परहेज़ किया, लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था का पहिया चलाने के लिए दूसरा 'रास्ता' ढूंढ़ा। 

Dakshin Bharat at Google News
ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर शोध केंद्र (सीआरईए) की रिपोर्ट में यह कहा जाना कि 'भारत अब यूरोपीय संघ को तेल उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है' और 'वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाहियों में भारत से यूरोपीय संघ को डीजल जैसे ईंधन का निर्यात 58 प्रतिशत बढ़ गया', पश्चिम के कई थिंकटैंकों को भारत की आलोचना करने का मौका दे सकता है। वे पहले भी रूस को कथित सहयोग देने के लिए भारत की आलोचना करते रहे हैं। 

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद तो पश्चिम को भारत का विशेष आभार मानना चाहिए। अगर यह ईंधन उन तक नहीं पहुंचता तो यूरोप के चूल्हे ठंडे पड़ जाते, उत्पादन में गिरावट आती और दरवाजे पर मंदी दस्तक देती। भारत ने उनकी अर्थव्यवस्थाओं को बचाया है। 

उक्त रिपोर्ट के कई शब्दों से 'भारतविरोध' के संकेत अभी से मिलने लगे हैं, जैसे- 'शोधन नियमों में खामियों का लाभ उठाते हुए, भारत अब यूरोपीय संघ को तेल उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।' जब पश्चिमी देश बाकी दुनिया की परवाह न करते हुए कोई कदम उठाते हैं तो उसे 'वक्त की जरूरत' समझा जाता है। वहीं, अगर भारत अपनी जरूरतों के साथ अन्य देशों की जरूरतें पूरी करने के लिए कदम उठाता है तो वहां 'नियमों में खामियां' दिखाई देने लगती हैं!

खामियां तो पश्चिमी देशों की उन नीतियों और बयानों में भी बहुत थीं, जिनके भरोसे यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने मुसीबत मोल ली। इस युद्ध के दौरान भारत ही ऐसा देश है, जिसके द्वारा शांति स्थापना के लिए किए गए प्रयासों का यूक्रेन और रूस द्वारा खुले दिल से स्वागत किया गया। 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसके लिए कई बार भारतीय प्रधानमंत्री की तारीफ कर चुके हैं। उन्हीं के शब्दों में - 'हम भारतीय नेतृत्व, खासकर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के विचारों का बहुत सम्मान करते हैं। वे यूक्रेन से जुड़े विवादों समेत संघर्षों के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं और समाधान के लिए अपने विचार पेश करते हैं।' 

यही नहीं, रूसी राष्ट्रपति भारत को 'दशकों से स्वाभाविक साझेदार और मित्र' बताते हैं। हाल में पुतिन की ओर से जितने भी बयान आए हैं, उनका विश्लेषण करें तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि रूस भी यूक्रेन के साथ युद्ध को और लंबा नहीं खींचना चाहता। पश्चिम के साथ उसका टकराव जगजाहिर है। ऐसे में किसी शांति समझौते की 'सम्मानजनक' शर्तें दोनों देशों से मनवाना 'टेढ़ी खीर' हो सकती है। 

अगर समझौते की कोई संभावना निकट भविष्य में पैदा नहीं होती है तो पश्चिमी देश कब तक रूसी ईंधन (खुद आयात करने) से परहेज करेंगे? चूंकि सीआरईए की रिपोर्ट तो यह कहती है कि 'वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाहियों में जामनगर, वडिनार और मंगलूरु रिफाइनरी से यूरोपीय संघ को निर्यात सालाना आधार पर 58 प्रतिशत बढ़ गया ... देश का रूस से आयात यूक्रेन युद्ध से पहले कुल आयातित तेल के एक प्रतिशत से भी कम था और युद्ध के बाद खरीद बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत हो गई है।' 

अगर इस आंकड़े को सच मान लें तो साफ है कि भारत ने पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मुश्किल वक्त में धराशायी नहीं होने दिया। उनके नेता यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंक कर दफ्तरों से बड़े-बड़े बयान जारी करते रहे और अपनी ईंधन संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए ठोस विकल्प भी नहीं सोचा। अब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे। इस युद्ध से जन-धन की हानि के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

'स्टाइल, लग्जरी और फैशन' का जश्न ... हाई लाइफ प्रदर्शनी का 15 नवंबर को होगा आगाज 'स्टाइल, लग्जरी और फैशन' का जश्न ... हाई लाइफ प्रदर्शनी का 15 नवंबर को होगा आगाज
यहां आप टॉप डिजाइनरों और यूनिक लेबल्स के प्रीमियम कलेक्शन ढूंढ़ सकते हैं
बेंगलूरु: महिला की हत्या से जुड़े मामले की गुत्थी पुलिस ने सुलझाई, बेटा-भतीजा गिरफ्तार
चेन्नई: सरकारी अस्पताल में मरीज के बेटे ने डॉक्टर पर कई बार चाकू से वार किए
तेलंगाना के पेड्डापल्ली में मालगाड़ी पटरी से उतरी, 39 ट्रेनें रद्द
दरभंगा एम्स के निर्माण से बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा: मोदी
क्या इन बैंकों में आपका भी है खाता? आरबीआई ने घोषित किया 'महत्त्वपूर्ण बैंक'
उच्चतम न्यायालय ने संपत्तियों के विध्वंस पर अखिल भारतीय दिशा-निर्देश जारी किए