पौधे को पेड़ बनाने का संकल्प लें

लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता आई है

पौधे को पेड़ बनाने का संकल्प लें

यह अभियान प्रकृति की सेवा के रास्ते भी खोलेगा

स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी का ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की सराहना करते हुए यह कहना कि उनका देश भी ऐसी पहल पर विचार कर सकता है, से पता चलता है कि उक्त अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है। यह अभियान इस मायने में अनूठा है कि इससे मां और धरती मां, दोनों के साथ जुड़ाव मजबूत होता है। इसमें ममता और पर्यावरण के लिए जागरूकता का ऐसा समावेश है, जो अन्यत्र बहुत कम पाया जाता है। आज जिस तरह जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, वायु प्रदूषण समेत विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, उनके मद्देनज़र ऐसे अभियान की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता आई है, लेकिन ऐसे अभियान की जरूरत महसूस की जा रही थी, जो हर उम्र के लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करे। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में वह सामर्थ्य है। यह मां के प्रति प्रेम एवं सम्मान को तो बढ़ाएगा ही, प्रकृति की सेवा के रास्ते भी खोलेगा। अब जरूरत इस बात की है कि इसमें हर वर्ग की भागीदारी बढ़ाई जाए। विद्यार्थियों, युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोगों को इसमें शामिल किया जाए। प्राय: पौधे लगाने से संबंधित अभियानों में दो दिक्कतें आती हैं- पहली, लोग यह तो जानते हैं कि पौधे लगाना अच्छी बात है, लेकिन ख़ुद नहीं लगाना चाहते। वे दूसरों से उम्मीद करते हैं कि खूब पौधे लगाएं। हां, अगर सोशल मीडिया पर ऐसी फोटो आ जाए तो वे उसे 'लाइक' कर आगे बढ़ जाते हैं। दूसरी, कई लोग पौधे तो लगा देते हैं, अपनी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं, जहां उन्हें सराहना मिलती है, लेकिन इसके बाद वे उस पौधे की सुध नहीं लेते। अगर वह पौधा विभिन्न चुनौतियों से जूझकर पेड़ बन जाए तो उसे लगाने वाले की 'वाह-वाह' होती है। अगर सूखकर दम तोड़ दे तो कोई पूछने वाला नहीं होता।

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‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को सफल बनाना है तो इन दोनों दिक्कतों को दूर करना होगा। लोगों को पौधे लगाने और उनकी लगातार देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। यह थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों और संस्थानों में क्लब बनाए जा सकते हैं। इसके तहत हर पौधे का पंजीकरण किया जाए। उसकी फोटो का रिकॉर्ड रखा जाए। इसके बाद समय-समय पर पौधे की देखभाल और पोषण से संबंधित जानकारी ली जाए। संबंधित व्यक्ति को मोबाइल फोन पर संदेश भेजे जा सकते हैं। यही नहीं, हर पौधे को एक नाम दिया जा सकता है, जैसे परिवार के किसी सदस्य को दिया जाता है। इससे लोगों के मन में उसके साथ जुड़ाव और गहरा होगा। जो बच्चे एक या दो पौधे लगाएं, उनकी उचित तरीके से देखभाल करें, उन्हें परीक्षा परिणाम में कुछ अंकों का लाभ दिया जाए। चूंकि वे पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान दे रहे हैं, इसलिए इनाम के हकदार हैं। किसी अभियान का बगैर प्रोत्साहन के आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होता है। प्राय: ऐसा माना जाता है कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं का समाधान करना सरकार का काम है। हालांकि इन समस्याओं की चपेट में हर वर्ग आ रहा है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि एकजुट होकर मैदान में उतरें और अपने भविष्य को बेहतर बनाएं। पिछले साल जब मई-जून में तापमान के रिकॉर्ड टूट रहे थे, तब सोशल मीडिया पर यह मुद्दा बहुत चर्चा में था। लोगों को पेड़-पौधों की जरूरत महसूस हो रही थी। जैसे ही मानसून आया, वह मुद्दा ठंडा पड़ गया। अब 'वे ही दिन' वापस आने वाले हैं। इस बार हमें कम-से-कम एक पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाने का संकल्प जरूर लेना चाहिए।

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