एनआरसी से खफा लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठ के इन 3 सवालों पर मौन क्यों हैं ममता दीदी?

एनआरसी से खफा लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठ के इन 3 सवालों पर मौन क्यों हैं ममता दीदी?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असम में एनआरसी का मसौदा जारी होने के बाद खफा हैं। वे इसका खुलकर विरोध कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि यह राजनीतिक उद्देश्यों से की गई कवायद है। यही नहीं, उन्हें इसमें रक्तपात और गृह युद्ध की आशंका नजर आती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह बांटने वाली राजनीति है, लिहाजा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Dakshin Bharat at Google News
ममता ने एनआरसी के पीछे राजनीतिक उद्देश्य बताया है। उन्होंने कहा, यह बहुत बड़ी त्रासदी है। हमारे देश के शरणार्थियों को निकालकर फिर से शरणार्थी बना देना, उनकी पहचान को खत्म कर देना सही नहीं है। अगर 40 लाख लोगों की पहचान खत्म हो जाएगी तो खाना, नौकरी, घर आदि कैसे मिलेगा? हालांकि एनआरसी से खफा ममता बनर्जी ने कुछ खास बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया। वजह जो भी हो, पर ये हैं बेहद जरूरी।

1. एनआरसी सिर्फ एक मसौदा है। यह किसी को पकड़कर जेल में डालने का फरमान नहीं। सरकार भी कह चुकी है कि जिनका नाम इसमें आने से रह गया, उन्हें पहचान साबित करने का मौका दिया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति भारत का ​नागरिक है तो उसके पास कोई तो प्रमाण अवश्य होगा जिसे पेश कर वह अपनी पहचान साबित कर दे। इस तरह एनआरसी का संबंध राष्ट्र के नागरिक हितों से है, न कि यह किसी प्रांत, धर्म, भाषा या लिंग के खिलाफ है। बतौर मुख्यमंत्री उन्हें जनता को यह बात बतानी चाहिए थी, लेकिन वे इस पर मौन रहीं।

2. इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि एनआरसी में किसी भारतीय के साथ अन्याय न हो। इसीलिए नागरिकता साबित करने के लिए समय भी दिया जा रहा है, लेकिन यह बिल्कुल न्यायसंगत है कि असल घुसपैठियों को निकालकर बाहर किया जाए। आखिर उनका बोझ भारतीय अर्थव्यवस्था क्यों भुगते? ममता और विपक्ष के कई नेताओं ने अपने बयानों में एनआरसी का प्रबल विरोध तो किया लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर वे आक्रामक नजर नहीं आए।

3. भारत की आबादी 130 करोड़ को पार कर चुकी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर ऐसा ही जारी रहा तो कुछ ही वर्षों में हम चीन को पीछे छोड़ देंगे। ऐसी स्थिति में लाखों अवैध बांग्लादेशियों को अपने देश में जड़ें जमाने देना क्या समस्याओं को आमंत्रण नहीं है? इसका सीधा असर रोजगार, भूमि की उपलब्धता और सुरक्षा पर होगा।

स्थानीय मूल निवासियों से तो अवैध बांग्लादेशियों का टकराव पहले ही होता रहा है। क्या हमें कश्मीर जैसी स्थिति के लिए इंतजार करते रहना चाहिए? जिन लोगों का नाम मसौदे में नहीं आया और वे भारतीय हैं तो उन्हें पूरा हक है कि जरूरी दस्तावेज देकर यहां सम्मान और गरिमा का जीवन जीएं। प्रशासन को उनका पूर्ण सहयोग करना चाहिए, पर यह देश राजनेताओं से भी अपेक्षा करता है कि जब मुद्दा राष्ट्रहित का हो तो यह सबसे ऊपर होना चाहिए।

ये भी पढ़िए:
– ऐसे जानिए, अगर भारत ने घुसपैठियों को न निकाला तो भविष्य में कैसे होंगे हालात
– संसद में सरकार ने माना, ‘रोहिंग्या देश के लिए गंभीर खतरा, वापस भेजे जाएंगे म्यांमार’
– पंजाब के दिग्गज नेता बोले- लोकसभा चुनावों में मोदी के सामने नहीं टिक पाएगा विपक्ष का कोई नेता

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download