यदि सिद्धू अपना काम नहीं करना चाहते तो मैं कुछ नहीं कर सकता: अमरिंदर
यदि सिद्धू अपना काम नहीं करना चाहते तो मैं कुछ नहीं कर सकता: अमरिंदर
नई दिल्ली/भाषा। नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री के पद से अपना त्यागपत्र भेजे जाने के कुछ घंटे बाद अमरिंदर सिंह ने कहा कि यदि वह (सिद्धू) अपना काम नहीं करना चाहते हैं तो वह कुछ नहीं कर सकते।
मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मंत्री को धान की फसल के अहम सीजन के दौरान काम छोड़कर जाने के बजाय अपने नए विभाग को स्वीकार करना चाहिए था। सिद्धू को पिछले महीने मंत्रिमंडमल में फेरबदल के बाद बिजली विभाग दिया गया था।उन्होंने कहा कि यदि सरकार को प्रभावी तरीके से काम करना है तो उसमें कुछ अनुशासन तो होना ही चाहिए। सिंह ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री के पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की है और दस जून को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजे अपने त्यागपत्र को सार्वजनिक किया। अपने इस फैसले को सार्वजनिक करने के अगले दिन सोमवार को उन्होंने सिंह को भी अपना त्यागपत्र भेज दिया।
सिद्धू ने सिंह के साथ चल रही तनातनी के बीच इस्तीफा दिया। सिंह ने हाल ही में मंत्रिमंडल में फेरदबदल के दौरान सिद्धू का विभाग स्थानीय शासन से बदलकर बिजली विभाग कर दिया था। हालांकि, सिद्धू ने नए विभाग का कार्यभार नहीं संभाला क्योंकि वह अपना विभाग बदले जाने से नाराज थे।
उन्होंने कहा, यदि सिद्धू काम नहीं करना चाहते तो इस बारे में मैं कुछ नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री ने सवाल दागा कि कैसे कोई सैनिक, जनरल द्वारा उसे दिए गए कार्य को करने से इनकार कर सकता है।
उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि बिजली पंजाब के लिए महत्वपूर्ण चीज, सबसे अधिक महत्वूपर्ण चीजों में एक है, अतएव मैंने यह सिद्धू को दे दिया लेकिन वह यह विभाग चाहते ही नहीं। मैंने कहा कि एक बार फैसला हो गया तो आप यह नहीं कह सकते कि मैं यह लूंगा, मैं वह नहीं लूंगा।
सिंह ने आश्चर्य प्रकट किया कि क्यों सिद्धू ही इस बदलाव से एक मात्र नाखुश व्यक्ति हैं जबकि अन्य मंत्रियों ने तो अपने नये विभागों का कामकाज संभाल लिया।
उन्होंने कहा, (तो) कैसे 12 अन्य मंत्रियों ने (अपने नए विभागों का) कामकाज संभाल लिया? जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या सिद्धू ने सुलह की कोई कोशिश की है तो उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। जब सिंह से पूछा क्या वह इस बात से खुश हैं कि सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया, तो उन्होंने कहा, मुझे क्यों खुश होना चाहिए? मैं किसी के जाने से खुश नहीं हूं।
उन्होंने कहा, मेरा उनसे कोई मुद्दा ही नहीं है। यदि सिद्धू का मुझसे कोई मुद्दा है तो आपको उसके बारे में उनसे ही पूछना होगा। हालांकि जब मुख्यमंत्री से यह पूछा गया कि क्या वह सिद्धू को मंत्रिमंडल में शामिल कर कोई गलती तो नहीं कर बैठे, तो उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया।
पूर्व भाजपा नेता सिद्धू 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर की लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी का विरोध नहीं किया, बल्कि उन्होंने सुझाव दिया था कि उन्हें बठिंडा से चुनाव लड़ना चाहिए जिसे इस दंपती ने अस्वीकार कर दिया।
सिद्धू द्वारा अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष को भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंत्री द्वारा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष को त्यागपत्र भेजे जाने में उन्हें कोई नुकसान नजर नहीं आता। उन्होंने कहा, आखिरकार, कांग्रेस अध्यक्ष ही वह व्यक्ति हैं जो यह तय करते हैं कि मेरे मंत्रिमंडल में कौन होना चाहिए।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट करने के बाद संसद परिसर में संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे। सिंह ने कहा कि उन्होंने अब तक सिद्धू के त्यागपत्र को पढ़ा नहीं है और चंडीगढ़ लौटने के बाद ही वह उसे पढ़ेंगे।
गांधी के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वह जरूरी उनसे मिलेंगे। सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से भेंट की क्योंकि प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल में अब तक वह उनसे मिले नहीं थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल श्री गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती समारोह पर प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करने के लिए किया। प्रधानमंत्री ने उसमें हिस्सा लेने और उसे सफल बनाने के लिए सभी संभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 31,000 करोड़ रुपए के खाद्य ऋण की देनदारी पर भी चर्चा हुई और प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विषय उनके विचाराधीन है।