सबको मिले स्वराज का लाभ : नायडू
सबको मिले स्वराज का लाभ : नायडू
नई दिल्ली/वार्ताउपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को समाज में हासिए पर मौजूद लोगों पर फोकस करना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ’’स्वराज’’ का लाभ सबको मिले। नायडू ने लोक सेवा दिवस पर यहाँ आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ’’स्वराज’’ का लाभ देश के हर नागरिक को मिलना चाहिए और इसके लिए ’’सुराज्य’’ अनिवार्य है। प्रशासन में प्रक्रियात्मक बदलाव से नीचे कुछ भी अपर्याप्त होगा। समय की माँग है कि प्रशासनिक नेतृत्व साफ, क्षमतावान, लोगों के लिए मित्रवत और पहल करने वाला हो। हमें ऐसा भारत बनाने का प्रयास करना चाहिए जहाँ सब लोग विकास प्रक्रिया का हिस्सा हों और उन्हें इसका लाभ मिले। प्रशासनिक सेवा को बदलाव का प्रेरक बनाने के लिए अपने रुख में बदलाव करना चाहिए।उन्होंने कहा कि विधायी मंशा को कार्यक्रमों में तब्दील करके आम नागरिकों को यह दिखाना होगा कि दैनंदिन प्रशासन में ’’सुराज्य’’ कैसा होता है? लोक प्रशासन के पास देश और देश के लोगों की सेवा करने का ऐसा मौका है जो पहले कभी नहीं रहा था। लोगों की सेवा करने के लिए विनम्रता, त्वरित सोच और उत्तरदायित्व को पुनर्परिभाषित करते हुए प्रक्रिया के बदले परिणाम को केंद्र में रखने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा, यदि हमें लोगों की सेवा करनी है तो हमें पता तो होना चाहिए कि उनकी वास्तविक चिंताएँ क्या हैं? हमें हासिए पर मौजूद ऐसे लोगों पर फोकस करना चाहिए जिनकी बात कहीं सुनी नहीं जाती। उन्होंने कहा न्यू इंडिया का मतलब है बदलाव। लोगों को लगना चाहिए कि उनके जीवन स्तर में बदलाव हुआ है। लोगों का जीवन आसान बनाने की बहुत ब़डी चुनौती है और इसमें आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है। जब तक लोगों को इस काम में जो़डा नहीं जाएगा सफलता नहीं मिलेगी। नायडू ने कहा कि बदलाव स्वयं नहीं आता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’’रिफॉर्म, पर्फोर्म, ट्रांसफॉर्म’’ के मंत्र को दुहराते हुए उन्होंने कहा कि सुधार और काम के बिना बदलाव संभव नहीं है। बदलाव अपने आप नहीं आता। इसके लिए सुधार और काम करना जरूरी है, मिलकर प्रयास करना जरूरी है। प्रशासनिक अधिकारियों से उन्होंने कहा कि केंद्र में इस समय ऐसी सरकार है जिसने उन्हें काम करने के लिए ’’जनादेश’’ दिया हुआ है। योजनाओं की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि योजनाओं की अवधारणा और जमीनी स्तर पर उनके क्रियान्वयन के बीच अंतर है। प्रशासन की मौजूदा प्रक्रिया पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है। हमारे प्रशासनिक ढाँचे और प्रक्रियाओं की प्रभाव और दक्षता के बारे में ईमानदारी पूर्वक आत्मावलोकन की आवश्यकता है। आत्मावलोकन के दम पर ही कई प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए वैकल्पिक रणनीति बनाने में कामयाब हुए हैं। जनधन, सुरक्षा बीमा, अटल पेंशन, सुकन्या समृद्धि, उज्ज्वला, मुद्रा, सबके लिए आवास, आयुष्मान भारत, स्टार्टअप, स्टैंडअप, कौशल भारत आदि योजनाओं एवं कार्यक्रमों का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि ये नए भारत की इमारत की ईंटें हैं्। इन सभी योजनाओं को प्रभावी ढँग से समय पर लागू करना एक ब़डी प्रबंधकीय चुनौती है। इसके लिए हमारे देश में ही क्षमता मौजूद है, जरूरत है सिर्फ मिलकर काम करने की।