दिल्ली के लिए सबक है बीजिंग, प्रदूषण से लड़ना है तो उठाने होंगे ये सख्त कदम

दिल्ली के लिए सबक है बीजिंग, प्रदूषण से लड़ना है तो उठाने होंगे ये सख्त कदम

सांकेतिक चित्र

नई दिल्ली। देश की राजधानी में वायु प्रदूषण लगातार चर्चा में है। इससे आम लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। दमा और श्वास संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों की जिंदगी काफी मुश्किल हो गई है। ऐसे में अब चर्चा है कि प्रदूषण को कैसे मात दी जाए। इसके लिए पेड़ लगाने का सुझाव दिया जाता है लेकिन यह दीर्घकालीन उपाय है। एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि अगर अब ऐसे हालात हैं तो आने वाले दस वर्षों में कैसे होंगे। क्या आगामी दो या तीन दशकों बाद राजधानी में सांस लेना मुमकिन होगा?

Dakshin Bharat at Google News
इन तमाम सवालों के साथ चीन का भी जिक्र हो रहा है जिसने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रयास किए और उसे काफी हद तक कामयाबी मिली। हालांकि अभी उसे बहुत कुछ करने की जरूरत है, पर उसने राजधानी ​बीजिंग सहित दूसरे शहरों में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए जो इच्छाशक्ति दिखाई, उसके अच्छे नतीजे सामने आए।

प्रदूषण को मात देने की रणनीति
करीब पांच साल पहले बीजिंग में प्रदूषण बड़ी चुनौती बन चुका था। राजधानी में धुंध छाई रहती थी। प्रदूषण के कारण स्कूलों की छुट्टियां कर दी जाती थीं। कई बार तो सूर्य भी साफ नहीं दिखाई देता था। शहर में कई स्थानों पर स्थापित स्क्रीन के जरिए लोगों को बताया जाता था कि आज कितना प्रदूषण है।

वर्ष 2015 में चीन ने स्वीकार किया था कि वायु प्रदूषण की वजह से हर साल उसके यहां 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इसके बाद वहां सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए नीति बनाई और उस पर सख्ती से अमल शुरू किया। इसके तहत भारी प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को बंद या स्थानांतरित किया गया। कोयले के उपयोग को कम किया गया। ऐसे पुराने वाहन जो ज्यादा प्रदूषण फैलाते थे, उन्हें सड़कों से हटा दिया गया। शहरों में कई जगह ताजी हवा के गलियारे बनाए गए और पौधे लगाने पर जोर दिया यगा। साथ ही बिजली के इस्तेमाल से चलने वाले वाहनों को प्रोत्साहन दिया गया।

दुरुस्त किया परिवहन
चीन सरकार ने सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करने पर जोर दिया। आवागमन के लिए साइकिलें सुलभ कराई गईं। चीन के राष्ट्रपति की भी साइकिल पर सवारी करते तस्वीरें सोशल मीडिया में आईं जिनसे लोगों को साइकिल के उपयोग की प्रेरणा मिली। बीजिंग में वर्ष 2014 में बेकार पांच लाख वाहनों को हटाया गया। चीन ने अपने मरुस्थली इलाकों में बड़े स्तर पर वनों को बढ़ावा देना शुरू किया। डिजिटल तकनीक पर खास जोर देकर सुदूर इलाकों को जोड़ा गया ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने को प्रोत्साहित किया जा सके। सरकार ने तय किया कि देश के प्रमुख शहरों में वर्ष 2020 तक प्रदूषण 60 प्रतिशत तक कम किया जाएगा।

कोयले का दहन कम
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हवा में पीएम 2.5 के स्तर को कम करने के लिए कई स्तर पर काम किया। इसके लिए कोयले के दहन को कम किया गया। ए​क अन्य सर्वे में पाया गया कि पीएम 2.5 के स्तर के लिए डीजल वाहन, खासतौर पर ट्रक जिम्मेदार थे। इसलिए राजधानी के कई इलाकों में ऐसे वाहनों का आवागमन बंद कर दिया। इससे स्थानीय प्रदूषण के स्तर में 34 प्रतिशत तक सुधार देखा गया।

निरीक्षण पर जोर
सरकार ने पुरानी इमारतों के गिराने का भी समय निश्चित किया। चूंकि उससे धूल के महीन कण पैदा होते हैं जिससे श्वास संबंधी तकलीफें हो सकती हैं। इसके अलावा भवन​ एवं सड़क निर्माण जैसे उद्योगों के लिए नियम सख्त किए गए, जिससे प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गई। सरकारी अधिकारियों द्वारा निर्माण स्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया कि वहां की हवा में प्रदूषण का क्या स्तर।

मिले ये नतीजे
एक रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रयासों की वजह से राजधानी में पीएम 2.5 के स्तर में 2013 से 54 प्रतिशत तक कमी आ गई है। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोयले की खपत में कमी लाने का प्रयास किया, जो प्रदूषण की बहुत बड़ी वजह थी। इसके लिए रसोई गैस जैसे विकल्पों को अपनाया गया। इस तरह दिल्ली के लिए बीजिंग एक सबक है कि प्रदूषण की यह लड़ाई बहुत गंभीरता के साथ कई मोर्चों पर लड़नी होगी। अगर इन हालात की अनदेखी की तो बहुत देर हो जाएगी।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download