नए कृषि कानूनों से प्रतिस्पर्धा को मिलेगा बढ़ावा, किसान अपनी उपज कंपनियों को बेच सकेंगे: सीईए

नए कृषि कानूनों से प्रतिस्पर्धा को मिलेगा बढ़ावा, किसान अपनी उपज कंपनियों को बेच सकेंगे: सीईए

नए कृषि कानूनों से प्रतिस्पर्धा को मिलेगा बढ़ावा, किसान अपनी उपज कंपनियों को बेच सकेंगे: सीईए

भारतीय किसान। फोटो स्रोत: PixaBay

मुंबई/भाषा। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के सुब्रमणियम ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को अंतत: बेहतर लाभ मिलेगा और उनकी कमाई बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इसका कारण इन अधिनियमों के तहत किसानों को अपनी उपज किसी को भी बेचने की आजादी दी गई है। किसान अपनी उपज रिलायंस और आईटीसी जैसी कंपनियों को अच्छी कीमत पर बेचने को स्वतंत्र है, इसके जरिये प्रतिस्पर्धी महौल सृजित किया गया है।

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तीनों कृषि कानून को पिछले साल संसद ने पारित कर दिया। हालांकि किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2021 में उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। सुब्रमणियम ने कहा कि कृषि कानून छोटे एवं सीमांत किसानों की आय में सुधार की दिशा में कदम है। कृषि कानून की आलोचना करने वाले इसके पारित होने के तरीके को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। उनका आरोप है कि इन सुधारों से कृषि गतिविधियों के निगमीकरण होने से बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि फसलों को केवल कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में बेचने से किसानों की कमाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसका कारण इसमें जो खरीदार हैं, वह बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं और जल्दी खराब होने वाले जिंसों या माल को फिर से बाजार लाने को लेकर होने वाले खर्च जैसी वजहों से सौदे में उनकी स्थिति मजबूत होती है।

उन्होंने कहा, ‘कृषि कानून प्रतिस्पर्धा सृजित करता है। इसके तहत छोटे और सीमांत किसान मध्यस्थ के पास जा सकते हैं और कह सकते हैं कि यदि आप अच्छी कीमत नहीं देंगे, तो मैं इसे किसी और को बेच सकता हूं। यह और कोई आईटीसी, रिलायंस या फार्म फ्रेश जैसी कंपनियां हो सकती हैं।’

नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के स्थापना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा कि ये कंपनियां किसानों की उपज के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कृषकों विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान को उनकी उपज का पर्याप्त मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि पुराने कानून कृषि उपज मंडी समिति (एमपीएमसी) से किसानों को जिंस के (अंतिम) मूल्य का केवल 15 प्रतिशत ही मिलता है जबकि ज्यादातर लाभ बिचौलिये ले जाते हैं। यही कारण है कि पुराने कानून की जगह नये कानून को लाए गए हैं।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से हमेशा ग्राहकों और उत्पादकों को लाभ हुआ है। बैंक, म्यूचुअल फंड, दूरसंचार और हवाईअड्डा इसके उदाहरण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर नेटवर्क होने के अलावा भंडारण जैसे बुनियादी ढांचे में निवेश करने की क्षमता के कारण अमीर किसानों को छोटे और सीमांत किसानों के समान परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि एपीएमसी कानून के अलावा कृषि कानूनों के जरिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को भी समाप्त किया गया है। क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम कृषि जिंसों के वैध भंडारण और जमाखोरी के बीच अंतर नहीं करता है। सीईए ने कहा, ‘छोटे एवं सीमांत किसान नुकसान में हैं और उनकी स्थिति आजादी के 75 साल से अधिक समय बाद भी नहीं सुधरी है।’ उन्होंने दावा किया कि कृषि कानून के साथ कृषि बुनियादी ढांचा कोष उन किसानों की स्थिति सुधारने में मददगार होंगे।’

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