प्रयागराज महाकुंभ एकता का महायज्ञ है: मोदी
प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ किया
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प्रयागराज/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रयागराज में संगम की पावन भूमि को प्रणाम किया। उन्होंने महाकुंभ में आ रहे सभी साधु-संतों को भी नमन किया। इसके बाद उन्होंने महाकुंभ को सफल बनाने के लिए कार्यरत कर्मचारियों, श्रमिकों और सफाईकर्मियों का अभिनंदन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व का इतना बड़ा आयोजन, हर रोज लाखों श्रद्धालुओं के स्वागत और सेवा की तैयारी, लगातार 45 दिनों तक चलने वाला महायज्ञ, एक नया नगर बसाने के महाभियान के माध्यम से प्रयागराज की इस धरती पर एक नया इतिहास रचा जा रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एकता का ऐसा महायज्ञ होगा, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगी। मैं इस आयोजन की भव्य और दिव्य सफलता की आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। हमारा भारत पवित्र स्थलों और तीर्थों का देश है। यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी और नर्मदा जैसी अनगिनत पवित्र नदियों का देश है।
इन नदियों के प्रवाह की जो पवित्रता है, इन अनेकानेक तीर्थों का जो महत्त्व है, उनका संगम, उनका समुच्चय, उनका योग, उनका संयोग, उनका प्रभाव, उनका प्रताप यह प्रयाग है। प्रयाग वो है, जहां पग-पग पर पवित्र स्थान हैं, जहां पग-पग पर पुण्य क्षेत्र हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल तीन पवित्र नदियों का संगम नहीं है। प्रयाग के बारे में कहा गया है: 'माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।' अर्थात् जब सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं, सभी दैवीय शक्तियां, सभी तीर्थ, सभी ऋषि, महर्षि प्रयाग में आ जाते हैं। यह वो स्थान है, जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। प्रयागराज वो स्थान है, जिसकी प्रशंसा वेद की ऋचाओं में की गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवंत प्रतीक है। एक ऐसा आयोजन है, जहां हर बार धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला का दिव्य समागम होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी बाहरी व्यवस्था के बजाय कुंभ, मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम है। यह चेतना स्वतः जाग्रत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम के तट तक खींच लाती है। इसलिए मैं फिर एक बार कहता हूं कि यह महाकुंभ एकता का महायज्ञ है, जिसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है। यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। सामूहिकता की ऐसी शक्ति, ऐसा समागम शायद ही कहीं और देखने को मिले। यहां आकर संत-महंत, ऋषि-मुनि, ज्ञानी-विद्वान, सामान्य मानव सब एक हो जाते हैं, सब एकसाथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, सम्प्रदायों का टकराव मिट जाता है। करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुंभ जैसे भव्य और दिव्य आयोजन को सफल बनाने में स्वच्छता की बहुत बड़ी भूमिका है। महाकुंभ की तैयारियों के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया गया है, प्रयागराज शहर के सैनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए गंगादूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्रों की नियुक्ति की गई है। इस बार 15 हजार से ज्यादा सफाईकर्मी भाई-बहन कुंभ की स्वच्छता को संभालने वाले हैं। मैं आज कुंभ की तैयारी में जुटे अपने सफाईकर्मी भाई-बहनों का अग्रिम आभार भी व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ से सामाजिक मजबूती तो मिलेगी ही, साथ ही लोगों का आर्थिक सशक्तीकरण भी होगा।