चीन का आर्थिक विकास भारत समेत कई देशों के लिए खतरे की घंटी?
संतुलन बदल गया है, इसलिए चीन का व्यवहार बदल गया है
नई दिल्ली/भाषा। पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने शनिवार को कहा कि चीन के आर्थिक विकास के बाद भारत-चीन संबंधों में शक्ति संतुलन ‘हमारे खिलाफ स्थानांतरित’ हो गया है और इस बदलते परिदृश्य के बीच अगले कुछ वर्षों में नयी दिल्ली को ‘काफी फुर्तीला’ होना होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीन में राजदूत के तौर पर कार्य कर चुके मेनन ने यहां एक कॉन्क्लेव के दौरान पिछले साल पूर्वी लद्दाख में तनाव में बढ़ोतरी का उल्लेख किया और कहा कि ‘सैन्य रूप से भारत जानता है कि चीन से कैसे निपटना है और मुझे नहीं लगता कि बीजिंग ने वह हासिल किया जो वह सामरिक रूप से करना चाहता था।’यह पूछे जाने पर कि वर्तमान शासन चीन के साथ किस तरह निपट रहा है, मेनन ने कहा, ‘मौजूदा शासन हो या पिछली सरकारें, मूल रूप से हमने संबंधों को प्रबंधित किया है। निश्चित रूप से समस्या यह है कि शक्ति संतुलन हमारे खिलाफ स्थानांतरित हो गया है।’
मेनन ने कहा, ‘जब हमने राजीव गांधी के समय में एक तरह का ‘जियो और जीने दो’ का रुख अपनाया तो हमारी अर्थव्यवस्थाएं मोटे तौर पर एक ही आकार की थीं और तकनीकी स्तर पर भी समान थे। भारत शायद दुनिया में अधिक एकीकृत था।’ उन्होंने कहा, ‘अब चीन अर्थव्यवस्था में पांच गुना बड़ा है, तकनीकी रूप से भारत से काफी आगे है...और दुनिया में बहुत अधिक एकीकृत है।’
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में ‘ड्रैगन टीथ: इज द वर्ल्ड रेडी फॉर ए चाइनीज सेंचुरी' सत्र का आयोजन किया गया। सत्र में मेनन ने कहा, ‘संतुलन बदल गया है, इसलिए चीन का व्यवहार बदल गया है, क्योंकि चीन सापेक्ष व्यवहार पर प्रतिक्रिया करता है। इसलिए, हमें अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है, और हम इसे पुन: निर्धारित करने की प्रक्रिया में हैं।’ मेनन ने कहा, चीन के कदमों के लिए उनका शुक्रिया क्योंकि अब ‘हमारे बहुत सारे नए दोस्त हैं’ और भारत उनके साथ काम कर रहा है।
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