सुखबीर बादल पर हमला गंभीर घटना

हम इस बहस में नहीं पड़ें कि सुरक्षा के सशक्त प्रबंध थे या नहीं

सुखबीर बादल पर हमला गंभीर घटना

Photo: SukhbirSinghBadal FB Page

अवधेश कुमार
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पंजाब के अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब  में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल पर हमला किसी दृष्टि से छोटी घटना नहीं है| यह संयोग कहिए या सुखबीर बादल की अभी आयु बची है अन्यथा हमलावर ने गोली चला ही दिया था| सुरक्षाकर्मियों ने उसे त्वरित गति से नियंत्रण में लिया और हाथ ऊपर उठा दिया वरना जितने निकट से उसने गोली चलाई थी सीधे सुखवीर बादल की छाती या सिर में घुस जाती| उसके बाद क्या होता इसकी केवल कल्पना की जा सकती है| गोली शक्तिशाली थी इसका प्रमाण दीवार में हुए निशान से मिल जाता है| गोली प्रवेश द्वार के दीवार पर लगी| कह सकते हैं कि न केवल पंजाब बल्कि देश एक बड़ी हत्या, अनहोनी और हिंसा के खतरे से बच गया| लेकिन इस घटना ने फिर उन आशंकाओं की पुष्टि कर दी कि पंजाब में हिंसा और उथल-पुथल पैदा करने के षड्यंत्र जारी हैं तथा उनके लिए व्यक्ति भी तैयार हैं|  सुखबीर बादल को अन्य अकाली नेताओं के साथ श्रीअकाल तख्त साहिब की तरफ से ११ दिन की सेवा की धार्मिक सजा सुनाई गई है| वे मुख्य प्रवेश द्वार पर बरछा लेकर व्हीलचेयर पर बैठे थे| उनकी सजा का दूसरा दिन था| इस समय सुखबीर बादल का पैर क्षतिग्रस्त है जिस कारण वह कुर्सी पर बैठकर सेवा कर रहे हैं| इस तरह की अनपेक्षित घटना हो और उस पर राजनीतिक बयान न आए ऐसा कैसे हो सकता है| विरोधी पंजाब सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठा रहे हैं जबकि भगवंत मान सिंह सरकार का तर्क है कि अगर व्यापक सुरक्षा इंतजाम नहीं होता तो न हमलावर पकड़ा जाता न उनकी जान बचती|

हम इस बहस में नहीं पड़ें कि सुरक्षा के सशक्त प्रबंध थे या नहीं| यह संभव नहीं कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और इतना बड़ा नेता  सेवा कर रहा हो और प्रशासन ने सुरक्षा इंतजाम नहीं किया| बताया जा रहा है कि सादे वर्दी में काफी संख्या में पुलिस वाले वहां तैनात हैं| बावजूद यदि हमलावर ९ एम एम का ग्लोक रिवाल्वर लेकर इतना निकट पहुंच गया तो इसकी जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ? उसने लगभग १० फीट की निकट दूरी से ही डब से पिस्तौल निकाल कर गोली चलाई| ध्यान रखिए, घटना के कुछ मिनट बाद ही एक प्रवासी भारतीय को भी अवैध पिस्तौल के साथ पकड़ा गया| वहां के पुलिस का बयान है कि श्रीहरमंदिर साहिब की मर्यादा को देखते हुए हर व्यक्ति की तलाशी नहीं ले सकते| क्या यही सच है?  इसका फैसला हम पंजाब के लोगों विशेषकर सिख समुदाय , स्वर्ण मंदिर के शीर्ष प्रबंधकों तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर छोड़ते हैं| वैसे यह दुर्भाग्य है कि कुछ नेताओं ने यही आरोप लगा दिया कि सुखबीर ने सहानुभूति लेने के लिए हमला कराया| वहां के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा है कि हम इस पहलू से भी जांच कर रहे हैं| हमले के तरीके और स्थिति को देखते हुए सामान्य व्यक्ति भी नहीं सोच सकता कि इसके पीछे सुखबीर बादल या स्वयं अकाली दल का ही कोई षड्यंत्र होगा| लेकिन राजनीति जो न कराये|

 इसके दूसरे पहलुओं पर चर्चा करें| गिरफ्तार हमलावर का नाम नारायण सिंह चौड़ा है जिसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी कहा जा रहा है| वह डेरा बाबा नानक का रहने वाला है| नारायण सिंह चौड़ा पर आतंक और अपराध के अनेक आरोप हैं| अभी तक की जानकारी के अनुसार उस पर पाकिस्तान से भारी संख्या में हथियार लाने सहित करीब ३० मामले दर्ज हैं| वह तीन बार जेल जा चुका है और कुल ३,१३९ दिनों तक उसके जेल में रहने का रिकॉर्ड है| उसे २८ फरवरी २०१३ को दो अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था| उसके कुराली स्थित ठिकाने से काफी संख्या में हथियार और गोला बारूद बरामद हुए थे| वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्योरा , जगतार सिंह तारा व देवी सिंह को २००४ में चंडीगढ़ की बुरैल जेल से भागने में मदद की थी| ध्यान रखिए कि ये सब पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे हैं जो जेल में सुरंग खोदकर फरार हो गए थे| हालांकि इस मामले में वह बरी किया जा चुका है| उस पर ८ मई ,२०१० को परमजीत सिंह पंचवाड़ के ड्राइवर रहे रतनदीप सिंह के साथ अमृतसर में सर्किट हाउस के पास एक कार में आरडीएक्स रखकर धमाका करने की साजिश का भी आरोप लगा था| इसके अलावा तरण तारण, गुरदासपुर सहित अन्य जिलों में भी उस पर गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम यानी यूपीए सहित गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं| अंतिम बार वह २०२२ में जमानत पर बाहर आया| चार दशक पहले उसके पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने की भी बात सामने आई है|  वहां उसने खालिस्तान नेशनल आर्मी का गठन किया था| वास्तव में आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में वह शामिल रहा| पाकिस्तान में रहते हुए उसने गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर किताब भी लिखी| सुखबीर बादल पर हमले के बाद केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नवनीत सिंह बिट्टू का बयान है कि नारायण चौड़ा ने २००९ में उन पर भी हमला किया था| उनके अनुसार वह गाड़ी में आरडीएक्स लेकर घूमता था| रवनीत सिंह बिट्टू लगातार यह विषय उठा रहे हैं कि ऐसे आतंकवादियों को जेल से रिहा करना खतरनाक है| मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मामले में विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित कर दिया है जिसमें अमृतसर पुलिस कमिश्नर के साथ ५ वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं| आप सोचिए, अगर इस तरह का खतरनाक व्यक्ति पंजाब में सरेआम घूम रहा है तो इसे किस रूप में देखा जाए? वह  धर्म पर व्याख्यान देता है, पुस्तक के अलावा लेख, कविताएं लिखता है| उसमें क्या बातें होती होगी इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती है|

अगर वह पूरे बादल परिवार को पंथ का गद्दार मानता है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं| वह सरेआम बोलता रहा है कि उपमुख्यमंत्री के रूप में सुखबीर बादल ,उसके पिता मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पंथ के विरुद्ध काम करते रहे हैं| इस तरह की आतंकी सोच रखने वालों के लिए हर वह व्यक्ति पंथ का गद्दार होगा जो उसकी खालिस्तान संघर्ष की योजना का साथ न दे| उसने टीवी चैनल पर भी बादल परिवार को धमकी दिया था| सूचना यह है कि केंद्र सरकार भी इस संबंध में पुलिस को सचेत कर चुकी थी| पुलिस ने जब उसके गांव चौड़ा में छापेमारी की तो उसकी पत्नी जसमीत कौर ने बयान दिया कि वह पहले आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था परंतु जेल में सजा भुगतने के बाद सुधर गया था|

उसकी मानसिकता देखिए कि पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो हंस रहा था| वास्तव में चौड़ा अकेले नहीं है जो इस समय पंजाब में सरेआम घूमते हुए हिंसक वातावरण निर्माण  कर रहा है| अपने भाषणों में ऐसे लोग सरेआम हिंसा और सिख कौम को लेकर भड़काने वाली बातें करते हैं| हमने पंजाब के शहरों में खालिस्तान समर्थकों को सरेआम झंडा लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा है| अमृतपाल सिंह का मामला सामने है| उसे किस तरह तैयार करके भारत भेजा गया यह भी सामने आ चुका है| वह सारेआम पूरे पंजाब में भारत विरोधी और आग लगने वाला बयान देता था, सभाये करता था, उसका जगह-जगह स्वागत होता रहा और उसने देखते-देखते पूरे पंजाब में अपना ए् बड़ा समूह खड़ा कर लिया| वह नशा छुड़ाने के नाम पर युवाओं को पकड़ता, उनको पीटता और उसके साथ उन्हें सिख कौम के नाम पर उसकी खालिस्तान दृष्टि से काम करने के लिए भी तैयार करता था| केंद्र सरकार के गंभीर होने के बाद उसकी गिरफ्तारी में कितनी समस्याएं आईं यह भी सामने है| जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव के गुरुद्वारे में जाकर भाषण दिया और उसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई| पिछले कुछ वर्षों में बेअदबी की घटनाओं के आरोप लगाकर गुरुद्वारों तक में हिंसा और हत्याएं हुईं| पुलिस ने पूरे प्रदेश से हिंसा की आग में झोंकने वाले हथियारों के भंडार बरामद किए हैं, आतंकवादी गिरफ्तार हुए हैं| विदेश में दृष्टि दौड़ाएं तो अलगाववादी हिंसक तत्वों की गतिविधियां बता रही हैं कि नए सिरे से पंजाब में उथल-पुथल पैदा करने के षड्यंत्र जारी हैं| कनाडा सरकार ने तो वहां मारे गए आतंकवादी के पक्ष में भारत को कठघरे में खड़ा किया| हालांकि ऐसे लोग मुट्ठी भर से ज्यादा नहीं है इसलिए ये सफल होंगे ऐसा नहीं माना जा सकता| किंतु जिस प्रदेश ने आतंकवाद का इतना बड़ा दौर देखा, %२ हजार के आसपास लोगों की जानें गई वहां सुखबीर बादल पर हमला बताता है शासन की ओर से किस तरह की सख्ती और सतर्कता की आवश्यकता है| हालांकि एक दूसरा पहलू है कि इन दिनों पूरे विश्व में भारत विरोधी आतंकवादियों की हत्यायें हो रही हैं| इस कारण भी इनके अंदर खलबली है| कुल मिलाकर भगवंत मान सरकार सुखबीर बादल पर हमले के पीछे की सोच और पंजाब के अलावा सीमा पर पाकिस्तान तथा अन्य देशों में हो रहे खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों को दृष्टि में रखते हुए केंद्र के साथ मिलकर ऐसे कदम उठाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो|

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