चोल सम्राट राजा राज के 'धर्म' को लेकर रार, क्या हैं तथ्य, क्यों छिड़ी तकरार?
तमिल फिल्म निर्माता वेत्रिमारन ने यह दावा कर विवाद की शुरुआत की कि राजा राज चोलन हिंदू नहीं थे
चेन्नई/दक्षिण भारत। प्रसिद्ध चोल सम्राट राजा राज की धार्मिक पहचान एक बार फिर चर्चा में है, जिनका नाम तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर के निर्माण समेत कई घटनाओं के लिए इतिहास में दर्ज है। इस मंदिर से करोड़ों लोगों की श्रद्धा जुड़ी है और हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं।
उल्लेखनीय है कि राजा राज प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण 1003 और 1010 ईस्वी के बीच कराया था। चोल वंश के दौरान रहन-सहन की छाप अब भी लोगों के दिलो-दिमाग पर है। तमिल में कल्कि कृष्णमूर्ति के पोन्नियिन सेलवन (पोन्नी के पुत्र) ने अरुलमोझीवर्मन की कहानी का जो चित्रण किया, वह खूब चर्चा में रहा। अरुलमोझीवर्मन को बाद में राजा राज चोलन के नाम से जाना गया।ऐसे शुरू हुआ विवाद
बता दें कि तमिल फिल्म निर्माता वेत्रिमारन ने यह दावा कर विवाद की शुरुआत कर दी कि राजा राज चोलन हिंदू नहीं थे। यही नहीं, अभिनेता और मक्कल निधि मय्यम के संस्थापक कमल हासन और कांग्रेस सांसद एस जोतिमणि ने भी उनकी टिप्पणी का समर्थन किया।
क्या बोलीं तमिलिसाई?
इस पर तेलंगाना और पुड्डुचेरी की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने आश्चर्य जताया और कहा कि तमिलनाडु में हिंदू सांस्कृतिक पहचान को छिपाने की कोशिश की जा रही है। तमिलिसाई तमिलनाडु से आती हैं। उन्होंने उक्त टिप्पणियों के विरोध में प्रयासों का आह्वान किया है।
भगवान शिव के भक्त
इसमें उन्हें भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एच राजा का साथ मिला है, जिन्होंने वेत्रिमारन पर निशाना साधते हुए कहा कि राजा राज चोलन भगवान शिव के बड़े भक्त थे।
उनका कहना है, ‘बृहदेश्वरर मंदिर के निर्माण का श्रेय उन्हें जाता है। क्या राजा राज चोलन ने गिरजाघर या मस्जिद बनवाए हैं, जिससे यह कहा जा सके कि वे हिंदू नहीं थे?’
एच राजा ने निर्देशक वेत्रिमारन की उस टिप्पणी को खारिज किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि तिरुवल्लुवर और राजा राज चोलन का भगवाकरण करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। एच राजा ने निर्देशक को चुनौती देते हुए कहा कि वे राजा राज चोलन द्वारा बनाए गए कम से कम दो गिरजाघर या मस्जिद दिखाएं।
कमल हासन की टिप्पणी का विरोध
उधर, कमल हासन का कहना है कि इन चोल राजा के शासनकाल के दौरान हिंदू धर्म जैसा कोई शब्द नहीं था। वैष्णव सम्प्रदाय, शैव सम्प्रदाय और श्रमण परंपरा थी। बाद में अंग्रेजों ने हिंदू शब्द गढ़ा।
उनकी इस टिप्पणी का सोशल मीडिया पर भी विरोध हो रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वहीं, एएसआई के पूर्व एपिग्राफी निदेशक पी वेंकटेशन कहते हैं कि राजा राज चोलन दृष्टिकोण में अधिक सर्वदेशीय और धर्मनिरपेक्ष थे। उन्होंने अपने शासनकाल में भगवान शिव, गणेश और विष्णु के मंदिरों का निर्माण कराया था। इसके अलावा जैन या बौद्ध मंदिरों के निर्माण की मांग करने वालों को उदारतापूर्वक धन दिया था।
कई देशों में मंदिर
वेंकटेशन के अनुसार, राजा राज चोलन ने श्रीलंका और कई एशियाई देशों में मंदिरों का निर्माण कराया था। इसी तरह एक तांबे की पट्टिका में उन्हें विष्णु का अवतार बताया गया है।
प्रजा के साथ समानता का व्यवहार
विशेषज्ञ के अनुसार, राजा राज चोलन ने अपनी प्रजा के साथ समानता का व्यवहार करते हुए किसी भी धर्म का विरोध नहीं किया था। कई शिलालेख उनके द्वारा किए गए दान के बारे में बताते हैं।